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आगरा की जामा मस्जिद
*_आगरा की जामा मस्जिद का वैज्ञानिक सर्वे कराने की मांग, सीढ़ियों के नीचे श्रीकृष्ण के विग्रह दबाने का दावा_*
आगरा। योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट की ओर से लघुवाद न्यायालय में दायर जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे श्रीकृष्ण विग्रह दबे होने के वाद में शुक्रवार को एक नया प्रार्थना पत्र दिया गया है। इसमें वादी पक्ष ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से वैज्ञानिक सर्वे कराने की मांग की है। न्यायालय ने सुनवाई के लिए 29 मार्च की तिथि तय की है।
वादी ने पुरातत्व विभाग से मांगी सूचना को आधार बनाकर यह मांग की है। वादी पक्ष का दावा है कि 1670 में मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर मथुरा श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर से भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह लाकर आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाए गए थे।

औरंगजेब के समय में लिखी किताब का किया जिक्र

औरंगजेब के समय में लिखी मासिर-ए-आलमगीरी पुस्तक के 13वें अध्याय में इसकी जानकारी दी गई है। मस्जिद को शाहजहां की बेटी जहांआरा ने बनवाया था। वादी पक्ष के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि 13 फरवरी को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से मस्जिद के संबंध में जानकारी मांगी थी।

वैज्ञानिक सर्वे के आदेश की करी मांग

जवाब में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने जामा मस्जिद में किसी भी प्रकार के उत्खनन और शोध कार्य न होने की जानकारी दी है। इसको आधार बनाते हुए जामा मस्जिद की सीढ़ियों के वैज्ञानिक सर्वे के आदेश की मांग की है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को दिया गया नोटिस

वादी के अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ ने बताया कि प्रार्थना पत्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से जामा मस्जिद की सीढ़ियों का जीपीआर सर्वे, उत्खनन, वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी व कार्बन डेटिंग आदि वैज्ञानिक विधि से कराने और रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करने की मांग की गई है। न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को प्रतिवादी बनाए जाने के लिए विभाग को नोटिस जारी किया है।

जन्मस्थान ईदगाह मामले को लेकर एक और वाद दायर

श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह मामले में शुक्रवार को एक और वाद दायर किया गया। यह वाद एटा के विक्रम सिंह ने दाखिल किया है। सिविल जज सीनियर डिवीजन तृतीय के न्यायालय में वाद दायर में विक्रम सिंह ने दावा किया है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान राठौड़ गहरवार बुंदेला वंश के अस्तित्व को जीवंत करता है। उन्हीं के वंश के पहले राजा विजयपाल सिंह देव ने इस मंदिर का निर्माण कराया और फिर वीर सिंह बुंदेला ने। उनका कहना है कि हमारे पूर्वजों ने मंदिर का निर्माण कराया था।

पूर्वजों का लगा है पैसा

शाही मस्जिद ईदगाह की भूमि जिस स्थान पर है, उसमें उन्हें भी प्रतिनिधित्व और संरक्षण का अधिकार दिया जाए। इसके पीछे उनका तर्क है कि इसमें हमारे पूर्वजों का इसमें पैसा और समय लगा है। उन्होंने वर्ष 1968 में शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ के बीच हुआ समझौता और न्यायालय की डिक्री निरस्त करने की मांग की। उनका कहना है कि वह नयागांव के रहने वाले हैं, जो कि राठौड़ और गहड़वाल (गहरवार) रियासत का एक नगर है। न्यायालय ने ये वाद इलाहाबाद हाई कोर्ट स्थानांतरित करने का आदेश दिया है ।
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