...

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बातें बंद है।
बहुत दिन हुए किसी ने कंधे पर जोर से मारते हुए नही पूछा
"और भाई क्या हाल चाल है?"
वैसे तो संचार सुविधा से भरपूर इस संसार मे हम तो हमेशा एक दूसरे से जुड़े हुए है और समय समय पर अपने विचरण अवस्था (STATUS)को एक दूसरे से साझा (SHARE)करते रहते है और अपने शुभ चिंतकों से प्रतिसाद (REACTION)प्राप्त करते रहते है।
पर मुझे बस इस बात का बड़ा दुख होता है कि हमारे किसी प्रकाशन (POST)पर प्रतिक्रिया संकेत सूचक चिन्हों (EMOGI)से करते है जिसे हम शब्दो (लेखन WRITTING) मे अपनी प्रतिक्रिया देने में आलस करते है जो कि उस प्रकाशन कर्ता को संकेत सूचक शब्दो की बजाय लिखित शब्दो से संवेदना (EMOTIONAL)का जुड़ाव महसूस होता है।
जिस तरह हम बड़ी आसानी से किसी की बुराई सूचक व्याख्या करने में सहज होते है और न जाने कितने ही वाक्य बोल जाते है उसकी बुराई करते हुए, पर अगर किसी की प्रशंसा करते समय हमारे पास शब्दों की कमी पड़ जाती है।
परस्पर वार्तालाप (FACE TO FACE) में आजकल हम बहुत ही असहज हो जाते है क्योंकि हमें अब ज्यादा मौखिक वार्तालाप में रुचि नही रही।
इसलिए तो अब
"और भाई क्या हाल चाल है?"
पूछने वाला बहुत कम ही मिलते है?
संजीव बल्लाल
© BALLAL S