...

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कुंदन
एक दिन मेरे जीवन में सुख ने प्रवेश किया। मैं आश्चर्यचकित हो गयी। सबकी भाँति मैंने भी सुख पाकर, ईश्वर को भुला दिया।

ईश्वर अंतर्यामी हैं, वे सब देख रहे थे। उन्होंने कुछ नहीं कहा।

कुछ समय बाद फिर से दुःख ने मुझे आ घेरा। सुख भाग गया।

ईश्वर अब भी देख रहे थे। अब भी वे चुप रहे। कदाचित वे मेरे दुःख सहने की क्षमता का परीक्षण कर रहे थे।

नहीं, वे मुझे कुंदन में परिवर्तित कर रहे थे।

© Shweta Gupta

#ssg_realization_of_life