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हमारी प्रेम कहानी भाग 2
अगली सुबह
अरे श्यामा जलेबी तैयार हो गई क्या ?
जी चाचा
अच्छा तो भोले को साथ लेकर मुरारी लाल जी के यहां चला जा । अभी ग्राहक भी नहीं हैं ,तब तक मैं हूँ बाद में ओर भी काम है बहुत ।
जी चाचा
चलो भोले भैया यह एक डिब्बा आप ले लीजिए और एक मेरे सिर पर रखवा दीजिए ।
ठीक हैं ।
अरे सुनो जल्दी ही आ जाना ज्यादा समय मत लगाना ।
ठीक हैं सेठ जी यू गए यू आए ।
मैंने तो अपने बारे में सब कुछ बता दिया तु भी अपने बारे में कुछ बता ना । बातों ही बातों अपना रास्ता भी कट जायेगा और अपनी जान
पहचान भी हो जायेगी।
अब तुम्हें क्या बताए भैया
क्यो ? , ऐसा क्या हो गया जो मुझे नहीं बता सकते । घर से भागकर आए हो क्या ?
बस कुछ ऐसा ही हैं ।
क्या हो गया था ?
दरसल हुआ कुछ यू था हमारी कॉलेज में एक लड़की मुझे बहुत पसंद थी। मैंने घर वालों से बात की लेकिन कोई फायदा नही हुआ वापस मुझे ही घर से निकाल दिया । फिर मुझे याद आया की एक दिन वह किसी सी इस गांव के बारे में बात कर रही थी ,तो चला आया ढूंढने ।
बात कर रही थी मतलब तेरी उससे बात नहींं हुई ।
नहीं , लेकिन मुझे विश्वास है की वह भी मुझे पसंद करती हैं
इतने बड़े गांव में ढूंढेगा कैसे ।
पता नही।
तेरे पास उसकी कोई फोटो हैं ।
वह भी नहीं है।
फिर तो मुश्किल है ।
हर मुश्किल का हल है ।
चल कोई नहीं , उसे बाद में देखते है । पहले जग्गू दादा से पैसे निकलवाने की सोच वरना सेठ जी दुकान से निकाल देंगे ।
उसके बारे में रात को ही सोच लिया । तुम बस एक बार जग्गू दादा से मिलवा दो , फिर मैं देख लूंगा ।
मिलवा देंगे समय मिलने पर , अभी सिर्फ काम पर ध्यान देना है वरना सेठ जी फिर चिल्लाएंगे ।
मेरे एक बात समझ में नहीं आई की यह चाचा इतना जोर से क्यों बोलते हैं धीरे से भी काम बता सकते हैं ना ।
आदत है इनकी ।
यह भी कैसी आदत ।
चल छोड़ , हमें क्या मतलब ।
ओय सुनता है पुरे गांव में लड्डू बटवा दियों जग्गू दादा की तरफ से ।
किस खुशी में ।
मुझे मालूम नहीं जग्गू दादा ने कहा है बोलने को मैंने बोल दिया , अब तुम जानो तुम्हारा काम, मैं तो चला ।
भोले भैया कोन थे यह ।
जग्गू दादा का खास आदमी ।
यह कोनसा तरीका हैं बात करने का ।
इनका तो सभी का यही तरीका होता है ।
अरे तुम क्या सोच रहे हो अभी सुना नही , लग जाओ फटाफट काम पर ।
जी सेठ , पूरे गांव के लिए लड्डू बनाने में समय तो लगेगा ही ।
लड्डू बनाकर ही घर चलना है चाहे सुबह ही क्यों ना हो जाए ।
ठीक है सेठ जी अब तो बनाकर ही नहीं बाँटकर ही घर जायेगें ।
जैसी तुम्हारी इच्छा ।

सभी के घर दे आए लड्डू अब इनका क्या करेंगे ।
जग्गू दादा के घर दे आते है इस बहाने तेरी उनसे मुलाकात भी हो जाएगी ।
चलो फिर मैं तो तैयार हूँ ।
चल फिर ......

क्या काम है ।
लड्डू लेकर आये है ।
ठीक है जाओ।
इतनी रोका - टोकी ।
जग्गू दादा के घर में ऐसे ही थोड़ी कोई अंदर आ सकता है।
अब तुझे क्या हो गया ।
भाई वह देख ।
क्या ?
सामने ।
यही है वह जिसकी में बात कर रहा था ।
क्या ? फिर तो भूल जा । नहीं तो खुद भी मरेगा ओर साथ में मुझे भी मरवाएगा ।
बाँट आए ।
जी , यह बच गये थे तो हम आपको देने चले आये ।
हा हा रख दो वहा और जाओ ।
जी वह किस खुशी में बंटवाए थे ।
यह कोन है।
जी , श्यामा नाम हैं इसका । हमारी दुकान में ही काम करता है।
जो सामने देख रहे हो इसकी नोकरी लगी है हमारे पुरे गांव में पहली लड़की है जो अफसर बनी है ।
अब क्या देख रहे हो जाओ ।
चल ।
चल तो रहे है लेकिन वापस जरूर आएंगे ।

आगे की कहानी अगले भाग में । क्या होता है श्यामा के साथ ? क्या उसे उसका प्यार मिल जायेगा ?