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एकांत वार्ता-1 (प्रभु से मिलन).....✍️✍️✍️
सभी पाठकों को राधे राधे 🙏

सब लोग यही चाहते हैं कि
हमें प्रभु मिल जायें, भगवान
मिल जायें।
परन्तु जब तक आप उनके
नाम का मनन चिंतन नहीं
करेंगे,तब तक यह संभव नहीं है
हम पाप कर्म करते जायें और
अपने मन में यह धारणा रखें कि
भगवान को कुछ भी ज्ञात नहीं है
वो क्या हमें देख रहे हैं तो आपकी
भूल है। ये तो वही कहावत हो गयी
""कि करे कुकर्म चाहे कल्याणा
ऐसा राम क्या मूरख जाना""
उनकी नजरों से कोई नहीं
बच सकता।
फालतू में बोलते रहते हैं गुड़ मोर्निंग,
गुड इवनिंग, नमस्ते।
इससे कुछ भी होने वाला नहीं है
इसके स्थान पर आप अपने इष्ट देव
या देवी का नाम बोल सकते हो।
जैसे - राधे राधे,राम राम, सीताराम
राधे श्याम,जय हनुमान,ओम नम शिवाय
जय माता दी आदि कह सकते हो।
इससे जिव्हा भी पवित्र होगी और
इष्ट का आशीर्वाद भी मिलेगा।
जो तुम्हें कड़वे बोल बोलता है
वो सच में आपका मित्र है।
जो आपके साथ रह कर आपको
गलत आचरण और कर्म में
उतारने के लिए प्रेरित करता है
वो आपका परम शत्रु है।
ऐसे लोगों से बचकर रहिए जो
आपके मन की शांति को भंग
करते हैं।
ये मन आपका उन्हीं सांसारिक भोग
विलास में आसक्त रहेगा जो आपके
सबसे बड़े शत्रु हैं, उसी चीज की चाह
करेगा जो मिल नहीं सकती। जब कोई
काम मन के मुताबिक नहीं होता तो
क्रोध का उद्गम होता है। जो हमारे अंदर
जलन की भावना को जागृत करता है
इससे हमारे सम्पूर्ण जीवन में उथल-पुथल
शुरू हो जाती है, और हम दुनिया को
इसका दोषी मानते हैं परन्तु इसके
जिम्मेदार हम स्वयं होते हैं ।
और अंत में एक बात कहना चाहूंगा कि
अगर आपको किसी ने धोखा दिया है
तो ये नहीं आप अपना जीवन ही
समाप्त कर लें।
ऐसा करने पर आप कमजोर
समझे जायेंगे।
ये मानव जीवन आपको ऐसा करने
के लिए नहीं बल्कि अपने जीवन का
उद्धार करने के लिए मिला है।
अपने इष्ट पर भरोसा रखें। समय
जरूर लगेगा लेकिन प्रभु आपको
इस मुसीबत से अवश्य निकालेंगे।
धर्म से चलें और अपने कर्तव्यों
का निर्वाह पूरी निष्ठा के साथ करें।
देखना भगवान अपनी दया दृष्टि
आप पर अवश्य करेंगे।

© Shaayar Satya