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तेरी-मेरी यारियाँ! ( भाग - 21 )
पार्थ :- हाँ,,,तो ठीक है ना, तुझे किसने पढ़ने के लिए मना किया है। तू मानवी दीदी से बोल वह तुझे पढ़ाएंगी।

निवान :- वैसे भी तूने ही तो कहा था, की तेरी बड़ी माँ बहुत अच्छी है। अगर तेरी माँ सही में तेरा बाल विवाह कराए' तो वह कब काम आएंगी।

पार्थ :- मुस्कुराते हुए,,,,, अगर तेरी बड़ी-माँ भी ना माने तो, मैं चाचू से बोल कर तेरी मदद करूँगा।

गीतिका पार्थ की बात सुनकर खुश हो जाती है और खुश होकर पार्थ से बोलती है।

गीतिका :- खुश होकर,,,,, पक्का पार्थ, तू मेरी मदद करेगा।

पार्थ :- हाँ,,,,,, पागल कहीं की।

निवान :- हे भगवान,,,,, तूने ये क्या बोल दिया उसको, बेटा अब तो तू गया।

गीतिका :- भावुक होकर,,,,,, पार्थ,,तू कितना अच्छा है।

गीतिका के इतना बोलते ही निवान हैरान होकर गीतिका को देखने लगता है और उससे बोलता है।

निवान :- चिढ़ते हुए,,,,,अरे वाह,,, मतलब मैं पागल बोल दूँ तो, तू कितना बुरा है, तू मुझसे ऐसे ही बात करता है और उसने तुझे पागल बोला तो पार्थ तू कितना अच्छा है।

गीतिका :- हँसते हुए,,,,मैं तुझे क्यों बुरा बोलूंगी निवान तू भी तो अच्छा है। तू मेरे लिए कितना अच्छा गिफ्ट लाया है। तुम दोनो ही अच्छे हो।

पार्थ :- अपने हाथ फैलाते हुए,,,,तो फिर इसी बात पर एक झप्पी हो जाए' फिर उसके बाद घर भी जाना है।

पार्थ की झप्पी वाली बात पर निवान और गीतिका फटाफट से हाँ बोलते है और वह तीनों एक साथ गले लगकर वहाँ से अपने घर चले जाते हैं।

अगली सुबह :- 8 बजे,,, गीतिका का घर

मानवी और गीतिका आँगन मेंबैठकर बात कर रही होती है की तभी कुसुम वहां आ जाती है और गीतिका से बोलती है ।

कुसुम :- गीतिका चल आज घर का सारा काम तू करेगी। बहुत कर लिया तूने हीं,,,हीं,,हां,,हां,,चल खड़ी हो।

मानवी :- चौकतें हुए, लेकिन चाची उसको तो काम करना भी नही आता,,यह आप कैसी बात कर रही हो।

कुसुम :- गुस्से में,,,अरे भाई,,तुम्हे बीच में बोलने के लिए कौन बोलता है और सारे दिन उसको बैठा कर रखूं तुम खुद तो कुछ करती नहीं हो उसको भी बिगाड़ रही हो।

मानवी :- सफ़ाई देते हुए,,,,पर चाची मै तो बस ,,,  ।

मानवी आगे कुछ बोलती कुसुम उसको बीच में ही रोकते हुए बोलती है।

कुसुम :- बस मानवी,,,पर वर कुछ नहीं और मैं उसको काम सिखा दूंगी। उसको काम करना आता है की नही इसकी तुम्हे चिंता करने की जरूरत नही है और वैसे भी अगले हफ्ते इसको लड़के वाले देखने आ रहे हैं।

कुसुम की यह बात सुनते ही मानवी और गीतिका को एक जोरदार झटका लगता है और वह दोनो कभी एक-दूसरे को तो कभी कुसुम को देखने लगती है। तभी कुसुम उन दोनो से बोलती है।

कुसुम :- हाँ,,, क्या,,ऐसे क्या देख रही हो। मैंने कुछ गलत बोला है। मुझे घूरना बंद करो और गीतिका जी आप,,,काम करने चलिए।

मानवी :- गुस्से में,,, चाची आप बहुत गलत कर रही है। गीतिका अभी छोटी बच्ची है और आप उसकी अभी शादी नही करा सकती है।

कुसुम :- मानवी को घूरते हुए,,,,सही गलत मुझे सिखाने की जरूरत नहीं है। मेरी लड़की है मुझे पता है उसके लिए क्या सही है क्या गलत है। तुम अपनी चिंता करो अभी तक यही पड़ी हो।

मानवी :- लेकिन चाची,,,,, ।

मानवी इससे आगे कुछ बोल पाती पीछे से सावित्री ( मानवी की माँ ) के चिल्लाने की आवाज आती हैं। जिसको सुनते ही वह तीनों सीढ़ियों की तरफ देखने लगती हैं। वही सावित्री गुस्से में मानवी से बोलती है।

सावित्री :- गुस्से में,,, मानवी बस बहुत हुआ,, यह क्या तरीका है बड़ों से बात करने का और तुम्हे इन सब बातों में बीच पड़ने की कोई जरूरत नही है।

मानवी :- लेकिन माँ,,,,,,

To Be Continue Part - 22
© Himanshu Singh