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तेरी-मेरी यारियाँ ! ( भाग-9 )
गीतिका:- मुँह फुलाकर बोलती है,,,,, ठीक है हाथ मे जो है उसे खत्म करना है या उसे भी छोड़ना है ।

मानवी :- हँसते हुए,,,,,,, हाँ खा ले ड्रामे बाज ।

वही पार्थ भी नाश्ता कर के अपने स्कूल जाने के लिए तैयार हो चुका था । अब बस इंतजार था तो उसके बड़े भाई देवांश का।

देवांश जिसकी उम्र लगभग इक्कीस साल है । कहने को तो पार्थ और देवांश भाई है लेकिन अगर ये साथ मे बैठ जाए तो इनकी बाते कम और बहस ज्यादा होती है ।

पार्थ की स्कूल बस आज नही आई तो देवांश ही उसको अपनी गाड़ी से स्कूल छोड़ने वाला है । पार्थ देवांश को आवाज लगाते हुए बोलता है ।

पार्थ :- भईया जल्दी आओ ना मुझे स्कूल के लिए देर हो रही है

तभी देवांश अपने कमरे से सीढ़ियों की तरफ आते हुए एक हाथ मे गाड़ी की चाबी और एक हाथ से कंधों पर बैग टांगता हुए नीचे उतरता है और बोलता है ।

देवांश :- क्या है क्यों इतना शोर मचा रहा है ? मुझे नाश्ता तो करने दे ।

पार्थ :- अब आपको नाश्ता भी करना है ।

देवांश :- क्यों सिर्फ तुझे ही भूख लगती है और किसी को नही लगती ।

पार्थ :- भईया मुझे स्कूल जाने के लिए देर हो जाएगी टाइम तो देखो कितना हो गया है ।

देवांश घड़ी मे टाइम देखते हुए पार्थ से पूछता है ।

देवांश :- पार्थ को घूरते हुए,,,,,,,,,, तेरे स्कूल का टाइम क्या है ?

पार्थ :- 9:00 बजे का क्यों आपको नही पता ।

देवांश :- पार्थ मैं क्या बोल रहा हूँ की चल पहले तेरा इलाज करा देता हूँ ।

पार्थ :- भईया मुझको सच मे देर हो रही है । 7:30 बज चुके है । आप ये क्या बात कर रहे हो ।

देवांश :- वही तो बस 7:30 बजे है और तो शोर ऐसे मचा रहा है जैसे 9:00 बज गए ।

पार्थ :- तो मेरा स्कूल भी तो दूर है । आपके कॉलेज की तरह पास थोड़ी है ।

देवांश पार्थ को चिढ़ाते हुए बोलता है ।

देवांश :- देख भाई मैं तो बिना नाश्ता करे यहाँ से हिलने वाला नही हूँ और अगर तुझे इतनी ही देर हो रही है तो तू खुद ही चला जा ।

पार्थ जोर से चिल्लाते हुए अपनी माँ को बुलाता है ।

पार्थ :- माँ,,,,,,,,, माँ जल्दी बाहर आओ ।

अनुराधा हड़बड़ी मे बाहर आती है और बोलती है ।

अनुराधा :- क्या हुआ तुम चिल्ला क्यों रहे हो ।

पार्थ :- माँ आप भईया को बोलो नाश्ता बाद मे कर लेंगे । पहले मुझे स्कूल छोड़ कर आएंगे ।

अनुराधा :- यह तुम कैसी बात कर रहे हो । उसको नाश्ता तो करने दो वो दुबारा नाश्ता करने आएगा और तुम्हारी बस भी तो 8:00 बजे आती है । फिर तुमको इतनी जल्दी क्या है ।

पार्थ :- माँ आपको नही पता भईया कैसी गाड़ी चलाते है । एक दो बार तो इन्हे गाड़ी टकरानी ही होती है । फिर इनको लड़ना भी होता है ।

पार्थ की बात सुनकर अनुराधा गुस्से मे देवांश से बोलती है ।

अनुराधा :- पार्थ जो कह रहा है वो सच है तुम्हे हमने इसलिए इजाजत दी थी गाड़ी चलाने की ताकि तुम गाड़ी को ठोकते फिरो ।

देवांश :- पार्थ को घूरते हुए,,,,,,,,,,, माँ ये तो पागल है कुछ भी बोलता है । आप मुझे जल्दी से नाश्ता दे दो ।

अनुराधा :- हमने जो पूछा है उसका जवाब दो पहले तभी नाश्ता मिलेगा ।

देवांश :- गुस्से से,,,,,,,,, हाँ माँ पार्थ सही बोल रहा है । मैं यही करता हूँ । आप एक काम क्यों नही करती।

To Be Continue Part - 10

© Himanshu Singh