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मुसीबत में मसीहा
#जंगल
मैंने कहा था स्पेयर टायर चेक करवा लेना निकलने से पहले, लेकिन तुम को तो बस हर बात मज़ाक लगती है। सुदीप ने गुस्से में झुंझलाते हुए रवि से कहा। उफ्फ नेटवर्क भी नहीं है मोबाइल में और इस घने जंगल में कोई दिख भी नहीं रहा। पता नहीं अब कैसे हम अपने घर को जाएंगे और यह रात आज कैसे गुजरेगी। सुदीप बहुत ही ज्यादा परेशान हो रहा था और से नहीं समझ आ रहा था अब क्या किया जाए उसे रह-रहकर रवि पर गुस्सा आ रहा था कि जब उसे कहा था कि स्पेयर टायर को चेक कर ले पर उसने नहीं किया था जिस कारण वह इस मुसीबत में फंसे हुए थे। दोनों ने बहुत देर तक इंतजार किया कि कोई तो मिल जाए उन्हें जो उनकी मदद कर सके और काफी देर तक इंतजार करने तक भी उन्हें कोई नहीं मिला जिस कारण उनकी परेशानी और बढ़ती जा रही थी और उनको ये चिंता भी सता रही थी कि वह घर को कैसे पहुंचेंगे और घर वालों को कैसे बता पाएंगे कि वह कहां फंसे हुए हैं और घरवाले भी चिंता कर रहे होंगे।
बहुत समय बीत गया पर कोई उस रास्ते से नहीं गुजरा और जंगल से जानवरों की भयंकर आवाजें है आनी शुरू हो गई थी जिस कारण अब सुदीप और रवि को डर लगने लगा था। काफी देर इंतजार करने के बाद वहां से एक गाड़ी गुजरती है जिसे देखकर सुदीप और रवि के चेहरे पर एक रौनक सी आ जाती है सुदीप और रवि उस गाड़ी को रोकने के लिए हाथ हिलाते हुए आगे की तरफ बढ़ते हैं पर वह गाड़ी नहीं रुकती है और आगे निकल जाती है तब सुदीप और रवि के चेहरे की खुशी निराशा में तब्दील हो जाती है। वह थोड़ी देर आगे की ओर बढ़ते हैं कि शायद उन्हें कोई गैराज मिल जाए जिससे वह अपनी गाड़ी को ठीक करवा सके काफी दूर तक चलने के बाद भी उन्हें कुछ भी नजर नहीं आता जिसके कारण उनकी हिम्मत टूटने लगती है
फिर कुछ घंटों बाद फिर उस रास्ते से एक और गाड़ी गुजरती है और दोनों फिर उस गाड़ी को रोकने का प्रयत्न करते हैं इस बार उनका किया हुआ प्रयत्न सफल हो जाता है और गाड़ी वाला अपनी गाड़ी को रोक लेता है सुदीप और रवि उस गाड़ी वाले से मदद की गुहार लगाते हैं और कहते हैं की प्लीज हमारी मदद कर दीजिए हमारे गाड़ी का टायर पंचर हो गया है।जिस कारण हम इस घने जंगल में फंसे हुए हैं और यहां तो मोबाइल में नेटवर्क भी नहीं कि हम अपने घर वालों को अपने कुशल मंगलता के बारे में बता सके तब उनकी बात सुनकर वह गाड़ी वाला उनकी मदद करने के लिए तैयार हो जाता है वह गाड़ी वाला सुदीप और रवि को अपनी गाड़ी में बैठा लेता है और अपने गाड़ी में बिठाकर उन्हें उनके स्थान तक पहुंचा देता है। सुदीप और रवि इस घड़ी में उनकी मदद करने वाले हैं उस अजनबी को बार बार दिल से शुक्रिया अदा कर रहे थे और कह रहे थे हम आपके बहुत आभारी हैं कि इस मुसीबत की घड़ी में उन्होंने उनका साथ दिया। आप इस घने जंगल में हमारे लिए एक मसीहा बनकर आए और आपने हमारी मदद की हमें हमारे घर तक पहुंचा दिया। के लिए हम आपका तहे दिल से शुक्रगुजार करते हैं। फिर सुदीप और रवि उस अजनबी का दिल से धन्यवाद करते हुए उस अजनबी से विदा लेते हैं।