"आंसुओं की बूंदें जो कभी मिट ना सका.. "
ये कहानी है दो शख्स की जो कभी कोई एक तरफ़ा प्यार से कम नहीं थी... हाँ सही सुना एक तरफ़ा प्यार ही कहलाता है ज़ूबिया और असद की....
प्यार एक तरफ़ा कैसे हुआ ये तो सिर्फ ज़ूबिया को ही पता था.. तो चलिए देकते है की कहानी कहाँ से शुरू हुआ....
बारिश का मौसम था। ज़ूबिया को मेडिकल कॉलेज में दाखिला करवा दिया। वही से उसने असद को देखा। तब से नज़रों से मिलने पर उसे प्यार हो गया। असद ने उसको बहुत खुश रखा... हमेशा उसके साथ वक्त गुज़ारा।
3 दिन बाद.... ज़ूबिया ने असद से प्यार का इज़हार किया। असद ने कहा ऐसा तो कोई बात ही नहीं है...... मुझे तुमसे कोई प्यार -व्यार नहीं है... और ना ही ऐसा कुछ हो सकता है। ज़ूबिया को बहुत बुरा लगा। ज़ूबिया को असद के बगैर ज़िन्दगी तो सोचने पर भी डर लगती थी। उसने बहुत आंसू बहाये.. बहुत टूट गई थी ज़ूबिया। अपनी माँ से भी कुछ कह नहीं पाई.. अकेली ही अपनी दर्द सहती गई... वो रब से अपनी सुकून के लिए दुआ मांगी। सबसे ज़्यादा तो उसने अहद के लिए दुआ माँगा की उसकी ज़िंदगी खुशियों से बर जाए। ज़ूबिया रब से यही शिखायत करती रही की कैसे वो अहद को भूल सकती है, जबकि वही उसके दिल में बस्ता है..... ज़ूबिया अहद से दोस्ती तक का रिश्ता छोड़ा ताकि वो अहद को और परेशान ना कर सके।
पर दिल में कहीं ना कहीं एक उम्मीद था की अगर रब ने अहद को उसके लिए लिखा है तो; एक दिन अहद उसको चाहेगा और ले जाएगा उसके साथ...
प्यार एक तरफ़ा कैसे हुआ ये तो सिर्फ ज़ूबिया को ही पता था.. तो चलिए देकते है की कहानी कहाँ से शुरू हुआ....
बारिश का मौसम था। ज़ूबिया को मेडिकल कॉलेज में दाखिला करवा दिया। वही से उसने असद को देखा। तब से नज़रों से मिलने पर उसे प्यार हो गया। असद ने उसको बहुत खुश रखा... हमेशा उसके साथ वक्त गुज़ारा।
3 दिन बाद.... ज़ूबिया ने असद से प्यार का इज़हार किया। असद ने कहा ऐसा तो कोई बात ही नहीं है...... मुझे तुमसे कोई प्यार -व्यार नहीं है... और ना ही ऐसा कुछ हो सकता है। ज़ूबिया को बहुत बुरा लगा। ज़ूबिया को असद के बगैर ज़िन्दगी तो सोचने पर भी डर लगती थी। उसने बहुत आंसू बहाये.. बहुत टूट गई थी ज़ूबिया। अपनी माँ से भी कुछ कह नहीं पाई.. अकेली ही अपनी दर्द सहती गई... वो रब से अपनी सुकून के लिए दुआ मांगी। सबसे ज़्यादा तो उसने अहद के लिए दुआ माँगा की उसकी ज़िंदगी खुशियों से बर जाए। ज़ूबिया रब से यही शिखायत करती रही की कैसे वो अहद को भूल सकती है, जबकि वही उसके दिल में बस्ता है..... ज़ूबिया अहद से दोस्ती तक का रिश्ता छोड़ा ताकि वो अहद को और परेशान ना कर सके।
पर दिल में कहीं ना कहीं एक उम्मीद था की अगर रब ने अहद को उसके लिए लिखा है तो; एक दिन अहद उसको चाहेगा और ले जाएगा उसके साथ...