हां मैं दिल्ली हूं ।
नमस्ते ! मैं दिल्ली हूं । हां वही दिल्ली जिसको आप भारत की राजधानी के नाम से भी जानते हैं । यूं तो मेरा इतिहास काफी काल खंडो में बटा है परन्तु हर काल खंड में मेरे ऊपर अन्याय कम नहीं हुए हैं । आइए आज आपको में अपने इतिहास की एक झाकी दिखती हूं । कभी मेरा नाम खंडब प्रस्त था , ज़र ज़र थी मेरी भूमि और अन्न का एक दाना ना हुआ करता था मुझपे । तब पांडु पुत्रों ने मेरा आलिंगन किया और मुझे एक नया रूप दिया "इंद्रप्रस्थ "। उन्होंने मुझे इन्द्र की इंद्रपुरी से भी खूबसूरत बनाया परन्तु मेरा सुख ज़्यादा समय...