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जीवन एक संघर्ष
जीवन‌ का दूसरा नाम "संघर्ष" है। पता है क्यों?
क्यों कि जिस दिन से हमारा इस धरती पर आगमन होता है, ठीक उसी दिन से,हम हर छोटी बड़ी खुशियों के लिए, संघर्ष करना सीख जाते हैं। बच्चा जब रोता है तभी उस पर मां का ध्यान जाता है कि कहीं इसे भूख तो नहीं लगी। ये भी एक तरह का संघर्ष ही हुआ ना।
कभी समय से जीतने की संघर्ष तो कभी समय के बीत जाने के इंतजा़र में संघर्ष,हर क्षण ये जीवन संघर्षपूर्ण लगती है। कभी वो बच्चों का अपनी जि़द मनवाने के लिए संघर्ष तो कभी हम बड़ों का, अपनों की ख़ुशी के आगे सब कुछ लुटाने का संघर्ष,सब कितना सीधा साधा सा लगता है। पर इस संघर्ष में,हम जिस मनोस्थिति से गुज़रते हैं,इसका सिर्फ वही अनुमान लगा सकता है, जिसने ऐसे हालातों का सामना किया हो।
कहने को तो मनुष्य को जीने के लिए तीन अतिआवश्यक चीज़ों की ज़रूरत पड़ती है -
रोटी, कपड़ा और मकान
पर क्या कभी सोचा है कि बिना संघर्ष के, ये तीनों भी हर किसी की पहुंच से दूर होते हैं। मतलब जिन हालातों को पिछले दो तीन वर्षों से हम पार कर,आज खुली हवा में सांस ले रहे हैं,हम इतना तो समझ ही गए हैं कि यहां तो सांस लेना भी किसी संघर्ष से कम नहीं।
बिना संघर्ष जीवन कुछ भी नहीं।
जीने के लिए हाथ पांव का चलना ज़रूरी है और ज़रूरी चीज़ें मुहैय्या कराने हेतु,हमारा अंतिम सांस तक संघर्ष करना।
कहानी हर किसी की संघर्षपूर्ण होती है मेरे दोस्त, कुछ हंस के संघर्षों का सामना करते हैं तो कुछ इनके आगे घुटने टेक देते हैं।
पर अंत में जीत उसी की होती है जो इसे जीवन का हिस्सा मान, इससे हर रोज़ दो दो हाथ करता है।
© Aphrodite