KHAAR( PART TWO) -THE MYSTERIOUS DOOR
चलिये इस कहानी का दूसरा अध्याय शुरू करते हैं, जो कुछ नई चीजों को सामने लाएगा।
खार तस्वीर के पीछे छिपे उस दरवाज़े को देखकर बहुत चौंक जाता है, जिस पर ठीक वही चिन्ह होते हैं, जो उसने नीचे एक किताब पर देखे थे। खार अपनी उत्सुकता के कारण उसे खोलने की बहुत कोशिश करता है, पर वो उसे खोल नहीं पाता। खार कुछ वक़्त कोशिश करके थक जाता है, और उसी कमरे में उसे नींद आ जाती है।
जब खार नींद से उठता है तो वह जो देखता है, उसे उसपर यकीन नहीं होता। खार देखता है कि अभी तक सुबह नहीं हुई है। जबकि उसे सोए हुए शायद छह घंटे हो चुके थे। खार इस बात से जितना चौंका हुआ था उतना ही डरा हुआ भी।
खार नीचे गया और वहां रखी चीजों को ध्यान से देखने लगा।
उसने वहां से बाहर जाने का रास्ता ढूँढने की भी कोशिश की, पर वो तब और डर गया जब उसने देखा, कि जिस गुफा से वो आया था, अब वो वहां नहीं है।
किसी तरह से उसने हिम्मत जुटाई और वो घर में वापस गया। उसका ध्यान फ़िर से उसी किताब पर गया। उसने वो किताब उठाई, और इस बार उसे खोल कर देखा। उसने एक अजीब सी चीज़ देखी, कि उस किताब के सभी काग़ज़ ख़ाली थे, सिर्फ पहले काग़ज़ को छोड़कर।
उसने देखा कि किताब के पहले काग़ज़ पर ठीक वही चिन्ह है, जो कि उसकी पीठ पर बना हुआ है। ये देखकर उसके आश्चर्य की कोई सीमा नहीं थी। उसने देखा उस चिन्ह के पास एक शब्द भी लिखा है जो था -
"डोंगरा" ।
खार उस किताब को लेकर ऊपर कमरे में गया, और कुछ देर सोचने के बाद उसने उस रहस्यमय दरवाज़े के उस खाँचे में किताब को लगा दिया, जिसमें ठीक किताब जैसे ही चिन्ह थे।
तभी कुछ ऐसा हुआ जिसकी खार ने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
वहाँ सब ओर रोशनी छा चुकी थी, और वो घर, जंगल सब कुछ गायब हो चुका था। अब खार एक नई सी दुनिया में था। उसके सामने किसी राज्य का एक बड़ा सा प्रवेशद्वार था, जिसपर लिखा था "डोंगरा"।
उस द्वार पर भी ठीक वही चिन्ह था जो खार की पीठ पर बना हुआ था।
तो आखिर क्या था ये डोंगरा? और वो निशान? कुछ और नए सवाल...
© AK. Sharma
खार तस्वीर के पीछे छिपे उस दरवाज़े को देखकर बहुत चौंक जाता है, जिस पर ठीक वही चिन्ह होते हैं, जो उसने नीचे एक किताब पर देखे थे। खार अपनी उत्सुकता के कारण उसे खोलने की बहुत कोशिश करता है, पर वो उसे खोल नहीं पाता। खार कुछ वक़्त कोशिश करके थक जाता है, और उसी कमरे में उसे नींद आ जाती है।
जब खार नींद से उठता है तो वह जो देखता है, उसे उसपर यकीन नहीं होता। खार देखता है कि अभी तक सुबह नहीं हुई है। जबकि उसे सोए हुए शायद छह घंटे हो चुके थे। खार इस बात से जितना चौंका हुआ था उतना ही डरा हुआ भी।
खार नीचे गया और वहां रखी चीजों को ध्यान से देखने लगा।
उसने वहां से बाहर जाने का रास्ता ढूँढने की भी कोशिश की, पर वो तब और डर गया जब उसने देखा, कि जिस गुफा से वो आया था, अब वो वहां नहीं है।
किसी तरह से उसने हिम्मत जुटाई और वो घर में वापस गया। उसका ध्यान फ़िर से उसी किताब पर गया। उसने वो किताब उठाई, और इस बार उसे खोल कर देखा। उसने एक अजीब सी चीज़ देखी, कि उस किताब के सभी काग़ज़ ख़ाली थे, सिर्फ पहले काग़ज़ को छोड़कर।
उसने देखा कि किताब के पहले काग़ज़ पर ठीक वही चिन्ह है, जो कि उसकी पीठ पर बना हुआ है। ये देखकर उसके आश्चर्य की कोई सीमा नहीं थी। उसने देखा उस चिन्ह के पास एक शब्द भी लिखा है जो था -
"डोंगरा" ।
खार उस किताब को लेकर ऊपर कमरे में गया, और कुछ देर सोचने के बाद उसने उस रहस्यमय दरवाज़े के उस खाँचे में किताब को लगा दिया, जिसमें ठीक किताब जैसे ही चिन्ह थे।
तभी कुछ ऐसा हुआ जिसकी खार ने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
वहाँ सब ओर रोशनी छा चुकी थी, और वो घर, जंगल सब कुछ गायब हो चुका था। अब खार एक नई सी दुनिया में था। उसके सामने किसी राज्य का एक बड़ा सा प्रवेशद्वार था, जिसपर लिखा था "डोंगरा"।
उस द्वार पर भी ठीक वही चिन्ह था जो खार की पीठ पर बना हुआ था।
तो आखिर क्या था ये डोंगरा? और वो निशान? कुछ और नए सवाल...
© AK. Sharma
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