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इक़रार
अभि उसके कॉलेज में उसकी ही कक्षा में पढ़ता था, मग़र उसने कभी उसे एक नज़र भी न देखा था, उसे ही क्या वो तो कभी किसी लड़के की ओर नज़र उठा कर नहीं देखती थी!

वो स्नेहा थी, जैसा नाम था वैसा ही स्वभाव भी था! शांत, शर्मीली, सीधी, कम ही बात करती थी! उसके लिए यहाँ सभी कुछ नया था, नया शहर, नया कॉलेज, नये लोग, दुनिया ही अलग, दिल्ली से आगरा आकर पढ़ना, बिल्कुल ही पूरब पश्चिम जैसी बात थी दोनों शहरों के बीच में!
उन दिनों आगरा शहर इतना विकसित नहीं हुआ था, गाँव ही लगता था!

पहली बार जब स्नेहा आई तो उसका दिल घबराने लगा था कि वो यहाँ कैसे रहेगी, वो भी होस्टल में, रैगिंग के नाम से और घबरा रही थी! मग़र रहना तो था ही, होशियार थी, कॉम्पटीशन पास करके...