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स्ट्रीट लाइट पार्ट - 2
कहानी का पिछला हिस्सा जहां छोड़ा था हम इसे वहीं से शुरू करेंगे। तो चलिए जानते हैं राधिका की कहानी का सच।
उससे पहले चलिए राधिका के बारे में थोड़ा और जानते हैं।
राधिका पढ़ाई में बहुत अच्छी थी, उसके शिक्षक हमेशा उसकी तारीफ़ करते थे।राधिका को ज्यादा लोगों से जुड़ना पसंद नहीं था, लेकिन उसकी एक दोस्त थी "जया"। जया एक समृद्ध परिवार की लड़की थी। राधिका अपना ज्यादातर समय, जया के साथ बिताना पसंद करती थी।
दरअसल जया को एक बीमारी थी, जिसकी वजह से उसे लोगों से जुड़ना पसंद नहीं था।
उसकी इस बीमारी की वज़ह से, वो बार बार बेहोश हो जाती थी।
एक बार वो अपनी माँ के साथ फिल्म देखने गई, और वो वहाँ भी बेहोश हो गई।
दरअसल जया की इस बीमारी की वजह से, उसे बेहोशी आ जाती थी, और वो सपनों की दुनिया में खो जाती थी, और उसे एसा लगता कि वो एक गरीब लड़की है, जिसका नाम राधिका है।
जी हाँ, राधिका नाम की कोई लड़की वास्तव में थी ही नहीं वो बस जया का एक भ्रम था। उसका असली जीवन तो वो था, जिसे वो परी से मिलने के बाद की कहानी समझती है। उसकी बीमारी इतनी गम्भीर थी, कि वो अपने वास्तविक जीवन में खुद को राधिका मानने लगी थी। उसके दिमाग पर कोई बुरा असर न पड़े, इस वज़ह से उसके परिवार वाले भी उसे राधिका ही पुकारते।
उस दिन जया अपनी माँ के साथ फिल्म देखने गई थी पर बीच फिल्म में ही वो बेहोश हो गई, और अपनी राधिका की काल्पनिक दुनिया में चली गई।
वो आज भी अपने आप को राधिका ही समझती है, और स्ट्रीट लाइट के नीचे रोज़ उस खरगोश की तलाशती है, जो परी बनकर उसे अमीर बना देगी ।
© AK. Sharma
उससे पहले चलिए राधिका के बारे में थोड़ा और जानते हैं।
राधिका पढ़ाई में बहुत अच्छी थी, उसके शिक्षक हमेशा उसकी तारीफ़ करते थे।राधिका को ज्यादा लोगों से जुड़ना पसंद नहीं था, लेकिन उसकी एक दोस्त थी "जया"। जया एक समृद्ध परिवार की लड़की थी। राधिका अपना ज्यादातर समय, जया के साथ बिताना पसंद करती थी।
दरअसल जया को एक बीमारी थी, जिसकी वजह से उसे लोगों से जुड़ना पसंद नहीं था।
उसकी इस बीमारी की वज़ह से, वो बार बार बेहोश हो जाती थी।
एक बार वो अपनी माँ के साथ फिल्म देखने गई, और वो वहाँ भी बेहोश हो गई।
दरअसल जया की इस बीमारी की वजह से, उसे बेहोशी आ जाती थी, और वो सपनों की दुनिया में खो जाती थी, और उसे एसा लगता कि वो एक गरीब लड़की है, जिसका नाम राधिका है।
जी हाँ, राधिका नाम की कोई लड़की वास्तव में थी ही नहीं वो बस जया का एक भ्रम था। उसका असली जीवन तो वो था, जिसे वो परी से मिलने के बाद की कहानी समझती है। उसकी बीमारी इतनी गम्भीर थी, कि वो अपने वास्तविक जीवन में खुद को राधिका मानने लगी थी। उसके दिमाग पर कोई बुरा असर न पड़े, इस वज़ह से उसके परिवार वाले भी उसे राधिका ही पुकारते।
उस दिन जया अपनी माँ के साथ फिल्म देखने गई थी पर बीच फिल्म में ही वो बेहोश हो गई, और अपनी राधिका की काल्पनिक दुनिया में चली गई।
वो आज भी अपने आप को राधिका ही समझती है, और स्ट्रीट लाइट के नीचे रोज़ उस खरगोश की तलाशती है, जो परी बनकर उसे अमीर बना देगी ।
© AK. Sharma
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