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कल्पना
सपने देखने का अधिकार तो हर इंसान को होता है, परंतु देखे हुए सपनो को पूर्ण करने के लिए ऊँची उड़ान भरना भी बहुत जरूरी है, और इसके लिए हमें कल्पनिक जगत में घूमना उससे भी आवश्यक है।कल्पना एक समंदर के समान है जिसमें अगर डूब जाए तो न जाने कहाँ पहुंच जाते हैं, खासकर एक कवि के लिए कल्पना उसका जीवन है,तभी वह अपने स्वप्नो की उड़ान भर पाता है और उन्हें पूरा करता है। वह सपने में पूरे जगत को देखता है और जीवन के महीन तत्वों को
संसार के सामने उसके सही सार्थक रूप में
रखता है इसीलिए आपने सुना भी होगा कि "जहाँ न पहुंचे रवि वहाँ पहुंचे कवि"।
कभी कभी जिन चीजों के बारे में हमने न देखा और न सुना होता है उनसे भी हमे हमारे स्वप्न और हमारी कल्पना ही अवगत कराती है। विभिन्न प्रकार के निर्माण की कल्पना भी हम अपने सपनो के माध्यम से ही करते हैं। कल्पना वो सागर है जिसमें हम डूब तो खाली हाथ जाते हैं पर बाहर अनेक प्रकार के स्वप्नों का सृजन और नवीन उमंगे भरकर आते हैं। सचमुच कल्पनाओ और स्वप्नो के बिना जगत सूना है।
हमारे सपनो को पूर्ण रूप देने में कल्पना ही पहली सीढ़ी है, सोचो यदि हम अपने लिए कुछ पाना चाहते हैं पर उसके लिए कुछ कल्पना न करें तो हम स्वप्न को पूरा करने के तार्किक रूप तक कैसे पहुंचेंगे।
ये काल्पनिक जगत ही तो है जो इंसान को
कुछ नवीन करने की प्रेरणा देता है और उसे साकार करने के लिए प्रयतनशील बनाता है। हमें अपने स्वप्नो को हकीकत में लाने के लिए हर संभव प्रयतन और भरपूर परिश्रम करना चाहिए तभी हम अपने जीवन के उद्देश्य को पूरा कर पाएंगे और इसके लिए ऊँची उड़ान भरने में किसी भी तरह का भय दिल में नहीं आने देना चाहिए।
© hemasinha