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बंद दरवाजा भाग - 2
पिछले भाग में हमने देखा कि रजत जैसे ही उस बंद दरवाजे को खोलता है तो वह हैरान रह जाता है। उस दरवाजे के पीछे के उस भयानक सच को देख उसके पसीने छूटने लगते है। आखिर क्या था वह सच जिसे देख रजत बहुत हैरान हो गया था? आइए जानने के लिए कहानी को आगे पढ़ते है। रजत देखता है कि उस दरवाजे के पीछे एक भयानक राक्षस छिपा हुआ था। उसके पूरे शरीर पर बाल ही बाल, उसकी लाल लाल आंखें, खुखार नुकीले दांत, लंबे काले नाखून। रजत के साथ खड़ा बूढ़ा आदमी दरवाजे को बंद करने लगता ही है कि इतने में वह राक्षस तेजी से उनकी ओर बढ़ता है और उस बूढ़े आदमी पर वार करता है और वहा से भाग जाता है। रजत उस बूढ़े आदमी को संभालता है और उससे उस भयानक राक्षस के बारे में पूछता है। तो इस पर बूढ़ा आदमी कहता है कि तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी यह दरवाजा खोल कर। उसने कहा कि यह भयानक राक्षस कोई ओर नहीं इस हवेली का मालिक है, जो कि एक साधु के श्राप के कारण एक भयानक राक्षस बन गया है। उस बूढ़े आदमी ने बताया कि इस हवेली के मालिक ने एक साधु का अपमान किया था, जिससे साधु ने गुस्से में आकर उसे एक राक्षस बनने का श्राप दे दिया था। उस बूढ़े आदमी ने कहा कि इस हवेली का मालिक राक्षस बन कर सभी को मारने लगा था। तो सभी लोगो ने उस साधु से मदद मांगी, तो उस साधु और सभी लोगो ने मिलकर उस राक्षस को इस कमरे में कैद कर दिया। तब से लेकर आज तक यह इस दरवाजे के पीछे बंद था। रजत को अपनी गलती पर अफसोस होने लगा और उसने फैसला किया कि अब वह अपनी इस गलती को सुधारेगा। उसने उस बूढ़े आदमी से उस राक्षस को रोकने का उपाय पूछा, तो इस पर उस बूढ़े आदमी ने कहा कि मुझे तो नहीं पता, पर उस साधु को अवश्य पता होगा जिसने यह श्राप दिया था। फिर रजत उस बूढ़े आदमी से उस साधु का पता लेकर उस साधु के पास पहुंचता है। वहां जाकर रजत उस साधु को सारी बात बताता है और इस समस्या का कोई उपाय पूछता है। इस पर वह साधु उसे उस राक्षस को रोकने का उपाय बताता है।
आखिर वो कौन सा उपाय होगा जिससे उस राक्षस को रोका जा सकता है?
जानने के लिए देखे इस कहानी का अगला भाग।
जल्द ही।

© Mohit