...

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तुम्हारा इंतजार
आज फिर मैं तुम्हारे ही इंतज़ार में निगाह बिछाये बैठी हूं..इंतज़ार, तुम्हारे आने की आहट का, इंतज़ार, तुम्हारे ना होने पर भी होने के एहसास का.. तुम्हारी उन कभी न खत्म होने वाली बातों का जो हिस्सा होती थी मेरी शामों का ..मैं तुम में जिंदा हूं और तुम इस घर में, इस घर में अब कोई नहीं रहता, तुम्हारी यादों के अलावा.. तूम्हारी गूंजती हसीं के अलावा..तुम्हारे आहट के अलावा..तुम्हारे एहसास के अलावा रहते है इस घर में तुम्हारे जाने के बाद भी तुम्हारे साथ बिताए हुए वो सुकून के पल ..तुम बिखरे हुए हो इस घर में हर जगह, छूट गए हो तुम हर कमरे में कही ..

और मैं आज भी रहती हूं तुम में...!!