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Wrong Number
#रॉन्गनंबर
बड़ी ज़ोर की बारिश हो रही थी। आसमान में बिजली कड़कड़ा रही थी पर घर पर बिजली गुल थी। तभी फोन की घंटी बजी और रितेश ने रिसीवर उठा के कहा हैलो, कौन है? उधर से आवाज़ आई ओह, सॉरी, रॉन्ग नंबर, और फोन रख दिया गया।रितेश को दो साल पहले की वो तूफानी रात याद आ गई। उस दिन भी तो वैसे ही उसे एक फोन आया था
वह घबरा गया था लेकिन पूरे घर अंधेरा था और वो वहा से अपने कमरे की तरफ भागा मगर उसका कमरा अंदर से बंद था वो डर गया ।
तभी फिर उसे कॉल आता है । वो कॉल उठाने से डरता है । थोड़ी बहुत हिम्मत जुटा के वो कॉल उठाने जाता है, कॉल उठाते ही आवाज आती
भूल गए मुझे मैं तो वही हूं ना फिर एकदम सहम जाता है वो की वो तो मर चुकी थी फिर कॉल पे वो कैसे हो सकती है। फिर आवाज आती है उसकी की कहो तो कल मैं मिलने आऊं। रितेश घबरा जाता है
और पूछता है तुम कौन हो। मुझे कैसे जानती हो
वो कहती है उस दिन मैं मरी नही थी ।
मैं तो आज भी जिंदा हूं। मगर तुम मुझे भूल गए
उस दिन कॉल तुम्हे मै लगाई तो तुम आए नही मिलने मुझसे उस एक्सीडेंट के बाद आज दो साल बाद मैं तुम्हे उसी वक्त पे कॉल की हूं।
अगर उस दिन वो आदमी नही आता तो मैं
वही मर जाती मगर उसने मुझे वहा से अस्पताल ले गया और मैं बच गई ।
तभी बिजली भी आ जाती है रितेश उससे माफी मांगता है कहता है मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई मुझे माफ कर दो
तो वो कहती है की अब मैं किसी और की हो चुकी हूं और अब मैं उसी की रहूंगी
उस दिन तुम आते तो आज मैं तुम्हारी रहती
इतना कह कर उसने कॉल रख दिया
और रितेश को अपने किए पे पछतावा आ रहा था
मगर अब हो ही क्या सकता था हो होना था अब तो वो हो चुका था ।

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