लाचार पिता
रमेश थका हारा बाजार से घर लौटता है, अपनी पत्नी ललिता से कहता है...
"अजी, गुड्डी की माई सुनती हो",
जरा गुड्डी से कहना एक गिलास पानी ला दे, बड़ी तेज धुप थी आज। बाजार में भी मंदी होने के कारण मुनाफे का तो सोच भी नहीं सकता,
गुड्डी आती है "पिताजी पानी लिजिए और गमछा लिजिए हाथ पैर धो लिजिए, मैं खाना परोस देती हूँ"।
रमेश खाना खा रहा था, तभी रमेश का खास मित्र रवि दरवाज़े पर आया
"भौजी रमेश है क्या घर पर "
ललिता जवाब देती है "जी रवि भैया, यहीं है खाना खा रहें है आप घर के अंदर आ जाइए"
रवि घर के अंदर प्रवेश करते हैं और रमेश के पास जा बैठते हैं।
रमेश ने कहा "रवि और बता कैसे आना हुआ"
रवि ने जवाब दिया "अरे नही दोस्त, यहीं पास से गुज़र रहा था तो सोचा मिलता चलूँ "।
रवि पूछते है "तु बता घर में सब कुशल मंगल है ना।"
रमेश कहतें है "कहा यार, एक तो मंदी के कारण नुकसान...
"अजी, गुड्डी की माई सुनती हो",
जरा गुड्डी से कहना एक गिलास पानी ला दे, बड़ी तेज धुप थी आज। बाजार में भी मंदी होने के कारण मुनाफे का तो सोच भी नहीं सकता,
गुड्डी आती है "पिताजी पानी लिजिए और गमछा लिजिए हाथ पैर धो लिजिए, मैं खाना परोस देती हूँ"।
रमेश खाना खा रहा था, तभी रमेश का खास मित्र रवि दरवाज़े पर आया
"भौजी रमेश है क्या घर पर "
ललिता जवाब देती है "जी रवि भैया, यहीं है खाना खा रहें है आप घर के अंदर आ जाइए"
रवि घर के अंदर प्रवेश करते हैं और रमेश के पास जा बैठते हैं।
रमेश ने कहा "रवि और बता कैसे आना हुआ"
रवि ने जवाब दिया "अरे नही दोस्त, यहीं पास से गुज़र रहा था तो सोचा मिलता चलूँ "।
रवि पूछते है "तु बता घर में सब कुशल मंगल है ना।"
रमेश कहतें है "कहा यार, एक तो मंदी के कारण नुकसान...