...

3 views

मिस रॉन्ग नंबर 10
#रॉन्गनंबर
~~~~ पार्ट 10 ~~~~

(जीत फोन आए लड़की की मदद के लिए निकलता है~~~~)

आखरी पल~~~~


अचानक एक खूबसूरत उंगलियों वाला हांथ जीत के आंखों के सामने मटकते हुए आया और दो तीन चुटकी बजाते हुए.... "जीत चाय मिलेगी न तुम्हारे यहां ?????" बोल गया.... ये सुनते ही जीत जैसे सचमुच बेहोश था और उसकी चुटकियां बजाने से किसी गहरे सम्मोहन से जाग गया हो ऐसे जग गया और सकपकाते हुए... हां.... हां... बस अभी लाया....! कहते हुए कमरे से बाहर किचन की तरफ भाग गया ..!

अब आगे~~~~

जीत को लगा नही था की उसके पीछे पीछे ' वो' भी चली आएगी...
"हम्म्म... घर को अच्छे संभाले रक्खा है तुमने ....! अकेले होकर भी साफ सफाई ही नहीं बल्कि घर को आकर्षक रूप से भी सजाया है...! तुम्हारी पत्नी नहीं दिखाई दे रही है ??? आय मिन.... है ना ??? मतलब घर देख कर लगता है की घर शादीशुदा इंसान का है । क्योंकि ऐसा घर मेंटेन करना पुरुषों के बस की बात नहीं ..." ...... वो

जीत शर्मा कर मुस्कुरा दिया .... "नहीं अभी मेरी शादी हुई नहीं है....!"
"ओहो..... इतने अच्छे ओहदे पर काम करने वाले इंसान की शादी हुई नहीं...?? देखूं तो.... अरे वाह.... हाइट - पर्सनालिटी अच्छी है...! रंग रूप में भी अच्छे हो....! डोले शोले भी तगड़े है ....! तनख्वाह भी अच्छी ही होगी और क्या चाहिए किसी को....?? की तुम्हे कोई लड़की पसंद ही नही आती ?? कोई प्राब्लम तो नहीं तुम्हारे अंदर ??? आय मिन... यू नो वॉट आय मिन ...???"

ओह तेरी...! कितनी बोल्ड.. बिंदास है ये...!
... हां पर साफ मन की जरूर लगती है... ! मन में कुछ न रखने वाली...!

"वो... माता पिता ढूंढ रहे है.... उनको जो पसंद आ जाएं..... कर लूंगा....!" - जीत
"ओह.... तो आप राजा हरिश्चंद्र जी है...!" वो
ये कहते ही वो एकदम खिलखिला कर हंस दी...।
वाह... दांत तो एकदम मोतियों जैसे सफेद चमकदार है ।
"लब खिले तो मोगरे के फूल खिलते है सभी..!" जीत को गाने की ये लाइने याद आते ही हंसी आगयी ।
"अच्छा तो तुम यहां माता पिता के साथ रहते हो ...??" वो
जीत झेंपते हुए... "ऐं.. ओह... हां... हां...!"

"तो वो यहां नहीं दिखाई दे रहे है ??" ...

"वो... उन्होंने... मेरे लिए कोई मन्नत मांगी थी... तो वही पूरी करने गए है ...!" जीत
"अच्छा मतलब भगवान में विश्वास रखने वाले लोग हो...??"..... वो...
"क्यों बुरा है क्या ???" जीत..
"नहीं बिलकुल भी नहीं है ... बल्कि बड़ी अच्छी बात है... !" वो

"अरे हां... भगवान से अचानक याद आया.... कल तुम जहां थी उस घर में हो क्या रहा था ?? क्या था वो सब ??? और तुम वहां क्या कर रही थी ??? फंसी कैसे ??? मुझे कैसे ??? मतलब मुझे क्यों और कैसे बुलाया ??? और तो और तुम मुझे कैसे जानती हो ???"....
जीत के दिमाग ही नहीं बल्कि जबान से भी अब धड़ाधड़ स्टेनगन चल रही हो ऐसे सवाल उस पर दागे जाने लगे....!

"रिलैक्स......! रिलैक्स.....!!!! उफ्फ.... जीत !!! कितने सवाल एक साथ दागोगे ??? अरे बताती हूं....! जरा मुझे भी तो चिल्ल करने दो...! एक तो अपने घर आए मेहमान को तुमने अब तक ना ही चाय पूछी ना ही नाश्ता करवाया... पर सवाल देखो कैसे दाग रहे हो ?? जरा धीरज धरो.... थोड़ा खाने पीने तो दो... मैं कौन भागे जा रहीं हूं..??? उसपर तो तुमने घर को अंदर से भी ताला मार कर रखा है ...!!! कहां और कैसे जा सकती हूं भाग कर... बताओं तो ??? " ..... वो..

क्या बात है... वाह मान ली इसकी परखी नजर.... इसने इतने कम समय में दरवाजे पर अंदर से ताला लगा है यह भी जान लिया ??? मतलब भागने की जरूर सूझी होंगी ...!!!
वैसे क्या ये बरगला तो नही रही है ??.... ये बताना चाहती भी है की नहीं ???.... हां.. वैसे ये बात तो सही भी है की पहले मैंने उसे चाय के लिए पूछना चाहिए था ...! किंतु क्या करूं दिमाग में इतने सवाल भर गए है की विषय निकलते ही मुंह में आए सारे सवाल दाग दिए।... जीत की सोच की फैक्टरी अब भी काम कर रही थी ।


( क्रमशः ~~~~ )

(आगे की कहानी की प्रतीक्षा करिए... अगले अंक में हम फिर जल्द ही मिलेंगे आगे क्या हुआ जानने के लिए...)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
© Devideep3612