...

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ग़ज़ल।
कुछ सुना भी नहीं
कुछ कहा भी नहीं
बस निगाहों ही निगाहों में
सब कह दिया
हाय रामा ये क्या हो गया
हाय रामा ये क्या हो गया

लब थोड़े से लिए मुस्कान थे
आंखों में चमक होश हैरान थे
सिलवटों की लड़ी खुबसूरत बड़ी
इठलाते नजर वे परेशान थे
हाय रामा, ये क्या हो गया
हाय रामा ,ये क्या हो गया

शोर होती रही दिल की हालत में
सांस बढ़ती रही हर मुलाकात में
खूबसूरत अब जैसे हर मौसम था
धूप में जैसे बरसाती आलम चढ़ा
होश किसको रहे, कुछ गजब बात थी
होश किसको रहे क्या गज़ब बात थी
हाय रामा ये क्या हो गया
हाय रामा ये क्या हो गया।



कई अर्सों के बाद मिले थे हमें
शायद वर्षों के बाद मिले थे हमें
धीमी मुस्कान थी नजरें परेशान थी
टोक ना दे निगाहें हमारी उन्हें
उनके जुल्फों के मंजर का आलम ये था
दिल हमारा जैसे थम सा गया
हम वही जा गीरे
जहां कल थे चले
उनके होने का आलम सर चढ़ गया
हाय रामा क्या यह हो गया
हाय रामा क्या यह हो गया।


© geetanjali