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इंसान: गलतियों का पिटारा
दोस्तों हम सब की ज़िंदगी में ऐसा दिन ज़रूर आता है जब हम अपनी ग़लती के लिए ईश्वर को या अपनी नियति को जि़म्मेदार ठहराते हैं। हम से जाने अनजाने ग़लती होना स्वाभाविक है, आखिर हम इंसान है, भगवान तो नहीं। फिर भी परिस्थिति के आगे हम ख़ुद को विवश पाते हैं और एक ग़लती को छुपाने हेतु ग़लतियो पर ग़लती...