...

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जैसे को तैसा।
जंगल मे शेर और भालू का घर अगल-बगल था। भालू एकदिन बच्चों के लिए गेंद खरीद कर लाया। बच्चे घर के आंगन मे गेंद खेल रहे थे। इतने मे शेर का बच्चा
गोलू वहां से गुजर रहा था। गेंद जाकर गोलू के हाथ मे लगा। गोलू
गेंद लेकर घर घुस गया।
भालू के बच्चे उदास हो जाते हैं। वे जाकर भालू को सब बताते है । भालू जाकर गेंद मांगता है पर शेर देने से मना कर देता है।
तभी वहां से एक बंदर गुजरता है ।भालू उसे सभी बाते बताता है। बंदर कुछ देर सोचता है। फिर बंदर जाकर शेर के बगीचे में जाकर आम के पेड़ से आम तोड़कर खाने लगता है। शेर के बच्चे वहां आकर बंदर से आम मांगने लगते है। बंदर ढेर सारा आम तोड़कर थैला में भर लेता है।
गोलू भी वहां आ जाता है। वह बंदर से कहता है ," तुम्हे दूसरों के चीज नही लेना चाहिए।यह आम का पेड़ हमारे है।तब बंदर बोलता है ,ठीक कह रहे हो।तब तुम भी भालू के बच्चों को उनके गेंद वापस कर दो ।वो गेंद उनके हैं।
गोलू को आम खाने का मन भी हो रहा था। वह गेंद लाकर वापस कर देता है। बंदर भी आम से भरा थैला शेर के बच्चों को दे देता है। भालू के बच्चे गेंद पाकर खुश हो जाते हैं। वे अब मैदान मे जाकर खेलते है।

रीता चटर्जी