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हास्य नाटक - यमराज का दौरा 😂😂✍️✍️
😂यम लोक का दृश्य 😂

यमराज (चित्र गुप्त से)- चित्र गुप्त
मानव को ऐसा क्या भाता है?
जो वो मृत्यु लोक पर रहना चाहता है ।
चित्र गुप्त सेना पति से कहो
हमारा रथ तैयार करें,जाइए।
हमारी बातों पर गौर फरमाइए ।
🤣🤣🤣🤣
चित्र गुप्त ने सेनापति को आदेश सुनाया
तो सेना पति घोड़े की तरह दौड़ा आया
सेना पति - क्या बात है महाराज
क्या कहीं जा रहे हैं आज?
यमराज - सेना पति दस वर्षों का भोजन बांध दो
और हमको खुशी- खुशी जान्दो।
हम मृत्यु लोक पर जायेंगे और सारी पृथ्वी का दौरा करके तुरंत आयेंगे।
😜🤪🤪😜
फिर क्या यमराज निकल पड़ते हैं
और चित्र गुप्त रथ हांक कर चल पड़ते हैं
यमराज - चित्र गुप्त मानव ऐसा क्या पाता है?
जो उसे यमलोक से ज्यादा भाता है।
चित्र गुप्त - महाराज हर जगह पर विचरण करेंगे
और हर एक वस्तु का चित्रण करेंगे।

🤣मृत्यु लोक का दृश्य 🤣

सहसा यमराज की नीचे नजर पड़ी
वो बोले आंखें करके बड़ी -
चित्र गुप्त, ये तो बहुत ही मौन है
ये अप्सरा सी यहां पर कौन है?
चित्र गुप्त - लगता है एक दुखियारी है
जो आज संसार से भी हारी है
आत्म हत्या कर यमलोक जाने की तैयारी है
😁😁😁😁
यमराज - अरे, कोई तो बचाओ इसे
जीवन बहुत अनमोल है बताओ इसे
ये तो बहुत नादान है,
मोह माया से अभी अंजान है
चित्र गुप्त, कुछ करो
नहीं तो जाकर कहीं डूब मरो
चित्र गुप्त -महाराज वो मानेगी नहीं
हम कौन हैं वो जानेगी नहीं
😅😅😅😅
यमराज एक टक उसे देख रहे थे
कोई बचा ले उसे यही सोच रहे थे
तभी एक पंडित का प्रवेश
मोर्डन जैसा था उसका भेष
हरे रामा हरे कृष्णा
हरे रामा हरे कृष्णा
पंडित -क्या हुआ बालिका ?
लड़की -नगरपालिका
नगर पालिका में नौकरी करता था वो
मुझ पर बेहद मरता था वो
और एक दिन उसका हाथ छूट गया
🤣🤪🤪😜😁
पंडित - और तेरे जीने का सबर टूट गया
बिना दिलवर के यूं ही मरेगी
तू अपनी जवानी व्यर्थ करेंगी
उसे नहीं तो मुझको अपना ले
मुझको तू अपना साथी बना लें
पूजा पाठ जाप कर दूंगा।
तेरे पाप को निष्पाप कर दूंगा ।
वो लड़की दुनिया से किनारा कर गई।
उसने किसी की न सुनी और मर गई।
ये देखकर यमराज डोले
और गुस्से से बोले-
ना जाने कैसे कैसे रोग मिल रहे हैं
संसार में अधर्मी लोग मिल रहे हैं
चित्र गुप्त ये सब मैं और न सह सकूंगा।
जल्दी चलो चित्र गुप्त मैं यहां
एक पल न रह सकूंगा।




© Shaayar Satya