...

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संदूक
बहोत पुराना सा वो संदूक...आज भी घर के किसी कोने में...एक भूली बिसरी याद की तरह पड़ा है। घर का वही पुराना सा कोना जहां कुछ समय पहले तक सारा परिवार जमा रहता था। आज तो कोई उस कोने को झांकता तक नहीं।
किसी समय पर वो कोना, मेरे दादा जी का कमरा हुआ करता था। उस समय घर के उसी कोने से ज़ोर ज़ोर से हंसी-ठहाकों की आवाज़ आया...