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भूतिया कीबोर्ड की कहानी part-3
आपने पढ़ा:- श्याम को लगा अपने कंधे पर किसी के हाथ होने का एहसास हुआ ।

अब आगे:-

श्याम ने जब पीछे पलट कर देखा तो वहाँ कोई भी नही था जिसे देख श्याम अब थोड़ा डर गया।
श्याम की माँ श्याम को आवाजे दिए जा रही थी खाने के लिए तो श्याम का ध्यान उन सब चीजों से हट गया फिर उसने अपने माँ के हाथ का बना खाना खाया और फिर अपने काम के सीलसिले से अपने ऑफिस चला गया जहाँ बैठ कर उसने एक लास्ट बार सोचा "कुछ लिख कर देखता हूंँ, सच होता है या सिर्फ ये मेरा वहम है।"
ऐसा सोचकर श्याम ने उस कीबोर्ड से टाइप करना शुरू कर दिया।
उसने लिखा "एक बड़े समारोह पर खाने के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पड़े बीमार उनकी हालत गंभीर है उन्हे city hospital मे भर्ती किया गया है।"

यह लिखने के कुछ देर बाद ही ऐसा ही हुआ जिससे श्याम अब परेशान हो गया और वो सोचने लगा "लगता है इस कीबोर्ड में ही कुछ गड़बड़ है जब से मैं इसे use कर रहा हूँ, तभी से ये सब सच हो रहा है । मुझे अब ये बोर्ड वही रख देनी चाहिए, लेकिन मै अभी इसे नही रख सकता अभी सब है, सबके ऑफिस से जाने के बाद मैं इस कीबोर्ड को जहाँ से लाया था वही रख कर आ जाऊंगा।"
ऐसा सोचकर वो शाम होने का वेट करने लगा ।
जब ऑफिस खाली हो गया, सब चले गए तब श्याम उस कीबोर्ड को ले जाकर रखने ही वाला था तभी एक काली परछाई श्याम को दिखी जिसे श्याम ने अनदेखा कर वो आगे बढ़ गया ।
एक दो कदम ही हो चला था की उसे ऐसा लगा जैसे उसके पीछे से कोई दौड़ा हो अब श्याम को डर लगने लगा उसके माथे पर पसीने की बड़े बड़े बुँदे आ गई।
पूरे ऑफिस में श्याम अकेला था लेकिन कहीं से उसे गाने की आवाज आ रही थी जो आवाज किसी औरत की थी गाने के बोल कुछ इस प्रकार थे:-
"ये रात अंधेरी...प्यासी है, मेरी बाहें खुली है तेरे लिए... रही मैं सालों बेताब ,इस पिंजरे में कैद अब जब मिली है आजादी तो तू मुझ में समा जा आजा...
अब ना कर देर बस तू आजा आजा....।"

श्याम उस आवाज को सुनकर अंदर तक काप उठा और डरते हुए टूटे टूटे लफ्जो मे हनुमान चालीसा पढ़ने लगा।

तभी किसी की जोर जोर से रोने की आवाज आने लगी जो बड़ी दर्द भरी थी , श्याम ने हिम्मत करके जोर से हकलाते हुए चिल्लाया -" क.. क...क... कौन है ,कौन है यहाँ ,मेरे सामने आओ।"

श्याम की बात सुनते ही किसी लड़की की आवाज श्याम के कानों पर पड़ी जो डरावनि थी - "मैं सामने आई तो तुम डर जाओगे।"
इतना कहकर वो अजीब तरह से हसने लगी "ही ही ही हिह...."
श्याम बोला "तुम हो कौन और यहाँ क्या कर रही हो और मेरे पीछे क्यों पड़ी हो।"
श्याम के सामने एकाएक वो प्रेत आ कर खड़ी हो गई, जिसे देख श्याम डर के मारे पीछे हटा जिससे की उसके पीछे टूटे हुए टेबल होने के कारण उसके घुटने में चोट लगी और वो लड़खड़ा कर वही जमीन में गिर पड़ा ।

श्याम डरते हुए धीरे-धीरे पीछे सरकने लगा ।
वो प्रेत कुछ इस प्रकार दिख रही थी कि उसे कोई भी देखकर डर जाए।
उसके काले घने गंदे से बाल जो उनके चहरे को आधा छुपा रहे थे उसकी सफेद आँखे चहरे पर लगे चोट उसे और डरावना बना रहे थे उसके हाथ मे लंबे लंबे नाखून जो काले थे और उसके कपड़ो से खून टप टप करके टपके जा रही थी जो वहा के सन्नाटे को डरावना बना रही थी,
ये सब देखकर श्याम का सिर चकराने लगा और वो वही बेहोश हो गया।
श्याम जो बेहोश हो चुका था वो रात भर वही उसी हालत मे पड़ा रहा, जब स्टोर रूम के रौशनदान से प्रकाश की किरणें श्याम के चेहरे पर पड़ी तब जाकर उसे होश आया, उसे अपने पैर पर बहुत तेज दर्द महसूस हुआ, फ़िर अचानक से रात की बात याद आ गई वो डर कर अपने चारो ओर देखने लगा, फ़िर वो हड़बड़ी से अपने पॉकेट से अपना फोन निकालकर किसी को call करने लगा कुछ देर रिंग जाने के बाद किसी ने call receive करते हुए कहा - हैलो सर ।
श्याम ने हड़बड़ाते और घबराते हुए कहा - ह..ह...हैलो, हैलो सागर ।
सागर ने कहा - ह हाँ सर मै हूँ आपको क्या हुआ आप इतना घबरा क्यु रहे हो और आप कहाँ हो ।
श्याम ने दर्द भरी आवाज मे कहा- तुम कहाँ हो जल्दी ऑफिस के स्टोर रूम मे आओ बिना कोई सवाल किए।
सागर ने कहा - "ठीक है सर मै अभी आता हु ।"
ऐसा कहकर सागर मे call cut किया और जल्दी से स्टोर रूम की तरफ़ भागा ।
दरासल सागर अभी अभी ऑफिस पहुँचा था ।
written by आफरीन

To be continue...
आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़ते रहे ।

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