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अनजानी रात ४
राज बहुत परेशान था की आखिर करण को ऐसा क्यों लगता है कि उसको मारने की कोशिश राज ने की है? अगर ऐसा होता तो वो क्यों उसकी जान बचाता? वो इस बारे में सोच ही रहा था कि उसे अपने दोस्त कमल की याद आती है और राज उसे फोन करता है।

राज : हैलो! कमल?
कमल : हां राज भाई! क्या हाल?
कुछ ठीक नहीं है यार! वो करण है न! उसे लगता है कि मैं उसे मारना चाहता हूं! राज ने दुखी होकर कहा।
लेकिन राज! करण को ऐसा क्यों लगता है बल्कि तुम तो उसके बेहद करीबी दोस्त हो ना!? कमल जिज्ञासावश पूछता है।
पता नहीं यार! रुको मैं तुम्हे सारी बात बताता हूं।(राज सारी बात कमल को बताता है)
अगर तुमने उसकी जान बचाई थी तो उसे आखिर ऐसा क्यों लगता है कि तुम उसका पत्ता साफ करने की फ़िराक में हो? कमल ने पूछा।
उसी बारे में तो मदद चाहिए तुमसे! करोगे न मेरी मदद? राज बहुत दुखी था।
अच्छा ठीक है! मैं पता लगाता हूं! : कमल

राज कुछ बेफिक्र होकर सोने ही लगता है कि उसे गोली चलने की आवाज आती है। कुछ गुंडे उसके घर में घुसकर उसके सिर पर बंदूक तान कर कहते हैं

गुंडे : मार डालो इसे!
राज : लेकिन क्यों? तुम्हें ऐसा करने को किसने कहा है?
गुंडे : हमारे बॉस ने! करण सर ने तुम्हें मार डालने का ऑर्डर दिया है।

राज कुछ सोच पाता उससे पहले एक गुंडा उसका गला दबाने की कोशिश करता है, राज उससे अपने आप को छुड़ाकर वहां से भाग निकलता है लेकिन उसका कंधा गोली खाने से लहूलुहान हो चुका होता है।

करण! तूने ये सही नहीं किया! तू इतना गिर चुका है! मैं सोच भी नहीं सकता कि तू अपने इतने करीबी यार को बिना कुछ जाने बिना कुछ समझे मारने को आतुर हो सकता है! उफ्फ! : राज बहुत परेशान था।

राज कमल के घर जाता है और उससे पूछता है क्या कि उसे पता चला कि किसने करण के कान भरे?

कमल : हां राज! मुझे सब पता चल गया है। इन सब के पीछे आखिर कौन है।
राज (उत्साह से) : अच्छा! कौन है वह? आखिर किसने रचा है यह ढोंग?
और कोई नहीं, बल्कि खुद करण है! उसी ने तुम्हें फंसाने के लिए यह सब किया था ताकि जो तस्करी का सामान है वह बेच कर वह मालामाल हो सके और तुम्हें मार कर अकेला अय्याशी करे! कमल ने कहा।
अच्छा! मुझे सब सब समझ आ रहा है। घिन आती है मुझे खुद से! क्यों मैं उस दिन करण की जान बचाई! मारने छोड़ दिया होता उसे तो आज ये दिन न देखना पड़ता! ह! राज बेहद उदास था।

राज इसके बाद अपने घर लौट आता है और करण के इस खेल के बारे में सोच सोचकर उसे धिक्कारता जाता है। उसे करण से नफरत होने लगती है। और उन दोनो की दोस्ती दुश्मनी में बदलने लग जाती है।

क्या इन सबके पीछे करण है? या फिर उसे फसाया जा रहा है? अगर करण निर्दोष है तो कमल ने क्यों सारे आरोप करण के सर मढ़ दिए? इन सब सवालों के जवाब मिलेंगे लेकिन अगले भाग में तो थोड़ी प्रतीक्षा कीजिए अगले भाग की : अनजानी रात ५


© Utkarsh Ahuja