✨आलोक ✨
जब चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा हो , बस अंधेरा ही अंधेरा... धुप्प अंधेरा ! ऐसा प्रतीत होता है कि अंधेरे के शिवाय इस सृष्टि में और कुछ है ही नहीं । यह अंधेरा ही अब नियती है । इतने सशक्त और गहरे काले अंधेरे को आखिर कौन चुनौती दे सकता है ? इसका अस्तित्व ही अब स्वीकार करना ही होगा । अंधेरा निश्चिंत,मगरूर , बैखौफ है - कौन उसका क्या बिगाड़...