जिशान का संडे 🙄
इस बार सर्दियाँ जैसे जल्दी ही आ गयी थी हर सुबह जैसे मानो कोई नयी नवेली दुल्हन ऐसे में देर तक सोने में हाइल होने वाला सूरज भी अपनी तपिश में एक गुनगुना एहसास दे कर किसी चौकीदार की तरह जागते रहो के बजाए मानो कह रहा हो "सोते रहों "सात साल का नटखट जीशान इतवार की इस सुबह जी भर के सोने का...