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अल्पु के मन की बात
मेरा ऐसा मानना है कि एक अच्छा लेखक बनने के लिए स्वयं को समाज के केंद्र में रखकर देखना चाहिए तथा अपने लेखन में ऐसी भाषा का प्रयोग करना चाहिए जिससे हर व्यक्ति वर्ग विशेष को इस लेखन को समझने में आसानी हो तथा वह इस लेख से कुछ न कुछ प्रेरणा अवश्य ग्रहण करें। किंतु ऐसा तभी होगा जब एक लेखक समाज के अच्छे और बुरे दोनों पहलुओं को गहनता से अध्ययन करे।
यदि मैं अपने जीवन पर कोई पुस्तक लिखती हूँ तो उस
पुस्तक का नाम "लेखनी अल्पु की" रखना पसंद करूँगी।
सारे लेखक मेरे लिए एक समान हैं कोई छोटा या बड़ा नहीं है।
तथा जो मेरी उम्र के लेखक हैं वह भी मेरे लिए सम्मान के पात्र हैं सभी यहाँ श्रेष्ठ रचनाकार है!
मैंने लेखन से हर परिस्थितियों में स्थिर रहना सीखा है।
मेरा हृदय बहुत कोमल है। यदि मेरी किसी बात का किसी को बुरा लगता है तो कुछ समय बाद उससे ज़्यादा बुरा मुझे लगता है।
यदि कोई मेरी कई पोस्ट लाइक करता है तो मुझे खुशी नहीं मिलेगी बल्कि वह मेरी भले एक ही पोस्ट लाइक करें किंतु उसे पूरा पढ़े तत्पश्चात लाइक तथा अपना सुझाव दे तब मुझे अत्यंत प्रसन्नता होती है। बहुत शांत स्वभाव और हंसमुख स्वभाव की हूँ। इसलिए मैं चाहती हूॅं कि सब मेरी तरह हँसते मुस्कुराते रहें।
मैं थोड़ी शरारती भी हूँ क्योंकि मैंने अपने अंदर के छोटे बच्चे को हमेशा ज़िन्दा रखा है इसीलिए कुछ लेखकों के साथ छोटी मोटी शरारत करके उन्हें हँसाती रहती हूॅं!
में अपनेे पाठकों को यही सुझाव देना चाहती हूँ कि समय कभी एक सा नहीं रहता जीवन में उतार-चढ़ाव सुख दुख हमेशा लगे रहते हैं। इसीलिए यदि हम किसी क्षेत्र में सफल नहीं हो पा रहे हैं तो हमें निराश नहीं होना चाहिए बल्कि अगली बार और प्रयास करना चाहिए। सफलता अवश्य मिलेगी।
मैं इस मंच के द्वारा समाज को केवल यही संदेश देना चाहती हूँ कि स्त्री का हमेशा सम्मान करना चाहिए और हमेशा उसे शिक्षित करने के बारे में सोचना चाहिए। क्योंकि अगर एक स्त्री शिक्षित होगी तो पूरा समाज अपने आप शिक्षित हो जाएगा। क्योंकि एक शिशु की पहली गुरु उसकी माँ ही होती है और "माँ" स्त्री ही होती है।
© अल्पु
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© अlpu