हमको खुदै नहीं पता चाहते क्या हैं
मैं पहले ही अच्छा था, पता नहीं क्यों उसके चक्कर में पड़ गया। उसे खुद पर गुमान इतना है की क्या कहूं। पता नहीं किस चीज का गुमान है। उसके लिए मैंने कितने जतन किए कितने परिवर्तन किए लेकिन उसको कोई फर्क नहीं। लेकिन कुछ भी थी अच्छी थी, अंत तक ब्लाक नहीं किया उसने।
या शायद गलती मेरी ही हो, वो मेरी तरफ से कुछ सुनना चाहती हो, लेकिन मैं कैसे बोलता किसी से पूछा नहीं था, और मैं ये जानता भी नहीं...
या शायद गलती मेरी ही हो, वो मेरी तरफ से कुछ सुनना चाहती हो, लेकिन मैं कैसे बोलता किसी से पूछा नहीं था, और मैं ये जानता भी नहीं...