माँ
❣️✍️ माँ, जब-जब ये जगत व्यर्थ लगने लगता था, परिस्थितियों से हताश मन अंधेरे कोने में दूर बैठे आपको याद करता था। आपकी गोद में सिर रखकर सांसारिक चिंताओं से कही दूर सुखद सूकून का अहसास होता था।
आपके अचानक जाने से पुरानी यादों को स्मरण करने के सिवाय कोई विकल्प ही नहीं सूझता! रह-रह आपसे जुड़ी छोटी-छोटी बातें याद आती है और आंखें मूंद उन स्मृतियों का सजीव चित्रण उभर आता है। अब तो मानो, कभी हिचकियाँ भी शायद ही आये, जब आप ही नहीं रहे तो उस तरह याद भला कौन करेगा ? अगली बार गांव से रवानगी पर, पीछे के रास्ते पर इंतजार...
आपके अचानक जाने से पुरानी यादों को स्मरण करने के सिवाय कोई विकल्प ही नहीं सूझता! रह-रह आपसे जुड़ी छोटी-छोटी बातें याद आती है और आंखें मूंद उन स्मृतियों का सजीव चित्रण उभर आता है। अब तो मानो, कभी हिचकियाँ भी शायद ही आये, जब आप ही नहीं रहे तो उस तरह याद भला कौन करेगा ? अगली बार गांव से रवानगी पर, पीछे के रास्ते पर इंतजार...