कर्म
एक वैद्य जी थे रोज दवाखाने जाते समय उनकी पत्नी एक पर्ची में सामान लिख कर देती थी। घर में उपयोग की वश्तुएं वैद्य जी दवाखाने में जाकर उतने ही मरिजों से पैसा लेते थे जितना पर्ची में लिखें हुए सामान हो जाए उसके बाद किसी भी मरिज से पैसा नहीं लेते थे। चाहे कितना ही अमीर क्यों न हो ।
एक दिन उनकी पर्ची में सभी सामग्री के नीचे बेटी की शादी का सामान लिखा था। उस दिन अंत तक उनको उतना पैसा नहीं मिला जितना सामाग्री के लिए जरूरत थी। वैद्य जी...
एक दिन उनकी पर्ची में सभी सामग्री के नीचे बेटी की शादी का सामान लिखा था। उस दिन अंत तक उनको उतना पैसा नहीं मिला जितना सामाग्री के लिए जरूरत थी। वैद्य जी...