“कहना चाहा बहुत कुछ,पर कभी कह नहीं पाई,बस बड़ी ख़ामोशी से,ख़ामोशियाँ ही गले लगाई!!"
आहिस्ता-आहिस्ता तो कभी,
बड़ी ही तेजी से
चल रही है ज़िंदगी की गाड़ी!!
बचपन की नादानियों के बाद,
आया एक स्टेशन,
जिसका नाम था ‘जवानी',
हाँ जवानी!!!!
जो भ्रम था कभी कि,
बड़े होकर ये करेंगें,वो करेंगें,
यकीनन टूटा वो भ्रम और
एक नए मोड़ पर थी जिंदगानी!!
रुख मौसम का,
कुछ ऐसे बदल गया,
जो कभी ख्वाबों,किताबों में भी न पढ़ा,
आज उससे,हक़ीकत में पाला पड़ गया!!
सिलसिला समझदारी का,
कुछ इस कदर शुरू हुआ,
आवाज़ तक नहीं हुई,
ख्वाहिशों का मंजर,
बिन तूफान के ही उजड़ गया!!
कुछ बातें बोलनी चाही,
और कुछ को,सीने में दफन...
बड़ी ही तेजी से
चल रही है ज़िंदगी की गाड़ी!!
बचपन की नादानियों के बाद,
आया एक स्टेशन,
जिसका नाम था ‘जवानी',
हाँ जवानी!!!!
जो भ्रम था कभी कि,
बड़े होकर ये करेंगें,वो करेंगें,
यकीनन टूटा वो भ्रम और
एक नए मोड़ पर थी जिंदगानी!!
रुख मौसम का,
कुछ ऐसे बदल गया,
जो कभी ख्वाबों,किताबों में भी न पढ़ा,
आज उससे,हक़ीकत में पाला पड़ गया!!
सिलसिला समझदारी का,
कुछ इस कदर शुरू हुआ,
आवाज़ तक नहीं हुई,
ख्वाहिशों का मंजर,
बिन तूफान के ही उजड़ गया!!
कुछ बातें बोलनी चाही,
और कुछ को,सीने में दफन...