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मेरी ट्रेन की प्रेम यात्रा भाग दो
जैसा कि मैंने पहले ही बताया की हम दोनों का लुफ्त वो छोटी लड़की उठा रही थी।
वो कहते है न ।
देखन में छोट लगे पर घाव करत गंभीर ।
तो कुछ ऐसा दृश्य बन चुका था और ठंड अब और बढ़ चुकी थी तब तक अगला स्टेशन भी आ गया तभी वहां कुछ कुराफाती किन्नर आ गए अब रात सवा बारह बजे जब सभी नीद की गहरी अंगड़ाइयां के रहे थे अब किन्नर सबको जगा जगा ए निकाल र निकाल दे
अब वो लड़की मुंह छुपा छुपा वो ठहाके लगा रही थी कि क्या बताऊं हसी मुझे भी आ रही थी मगर क्या करे अब एक किन्नर मेरे पास ।
चल निकाल चिकने मै अरे मैम पैसा नहीं है।
अबे ओ निकलता है फिर मैंने हाथ से इशारा किया वो समझ गए और चले गए
फिर उस लड़की ने पूछा आपने क्या कहा उस जो वो एक दम से चली गई
मैंने पहले हल्की सी अपने चेहरे पर मुस्कान डाली और कहा मैंने उससे इशारा करके बताया कि मै एक छात्र हूं
इससे वो चला गया अब वो संतुष्ट हुई और मेरे बात से प्रभावित भी अब हल्की सी मुस्कान की प्रतिक्रिया उसने भी दे दी मै भी मुस्कुरा रहा था और फिर वो सोने का नाटक करने लगी जहां वो बैठी थी वहा एक और शख्स आकर बैठ गया सौभाग्य वश मेरी सीट पर थोड़ी जगह थी मैंने कहा कोई बात नहीं आप यहां आ जाओ वो भी आकर बैठी और सोने का फिर नाटक करने लगी एकाएक उसने मेरे कंधे पर अपना सिर टिका लिया।
और मैंने भी कुछ प्रतिक्रिया नहीं की फिर उसका हाथ मेरे हाथ के पास था अब पता नहीं क्यों उसके हाथ पर मुझे अपने हाथ रखने की इच्छा बार बार हो रही थी।
मैंने थोड़ा हिम्मत करके उसके हाथ पर अपना हाथ रख लिया अब उसने भी कोई आपत्ती नही जताई अब उसके हाथ को मै हाथ में लेके
कभी मलता कभी सहलाता एक प्यार भरा महशुस होता उसको भी हल्का हल्का एहसास हो चुका था अब धीरे धीरे सबेरा हो चला था।
अब रुद्रपुर आने ही वाला था तब तक मै उसे देखता वो मुझे और बस आंखों ने आंखों की बाते पढ़ ली जो अक्सर दो प्रेमियों को रोग लग जाता है तब तक उसने अपना मोबाइल निकाला और इधर उधर करने लगी मै समझ गया कि उसके दिमाग में क्या खिचड़ी पक रही है अब आगे का रास्ता साफ था मगर था तो मै भी लड़का ही और कई लड़के कई कई किस्म के होते है जैसे मै ती शर्मिला किसी लड़की को
परपोज तो दूर देखने में डरता पर अब उससे कहूं तो कैसे पता नहीं क्या रिप्लाइ आ जाए और वो भी ट्रेन मै भरे समाज में इज्जत ।
जरा सर जैसे लड़कियों को अपनी इज्जत और आबरू प्यारी होती है वैसे ही लड़के भी होते है अब आगे सोच ही रहा था कि तब उसने अपनी आई डी दिखाई ।
कहानी अभी बाकी है।
पढ़ने के बाद अवश्य बताएं कैसी है।

© navneet chaubey