गए कहां वो दिन
एक वक्त ऐसा था जब हम खूब खेला करते थे मैदानों में , लेकिन जब से ये कोरोना आया है बाहर खेलना ही बंद हो गया है ।
मैं(ओमी) विश्वा , रोहन , चीकू और मिकी अक्सर स्कूल से आने के बाद प्ले ग्राउंड में खेलने के लिए निकल जाते थे ।
क्रिकेट , फुटबॉल और भी ढेर सारे गेम्स खेला करते थे और ट्यूशन भी साथ जाया करते थे। बारिश के दिनों में कागज की नाव बनाकर पानी में छोड़ा करते थे , और गर्मियों के दिन में खूब बर्फी खाया करते थे ।
झूला भी साथ ही झूला करते थे , और तो और होमवर्क भी साथ ही complete किया करते थे। विश्वा तो हम सब में से सबसे ज्यादा शरारत किया करता था , एक बार की बात है गर्मी का दिन था गुप्ता अंकल रोज की तरह मॉर्निंग वॉक से वापस आ रहे थे तो विश्वा उनके घर के पास के पेड़ के पीछे छिप जाता है और अंकल के पास पहुंचते ही 💥 बूम .... बोल कर डरा देता है और फिर वहां से जोरो से चिल्लाते हुवे अंकल डर गए अंकल डर गए ..... भागता है ।
अब तो वक्त ही बदल गया है जैसे लोगो का अलगाव और बढ़ गया हो , जाने कहां गए वो दिन .....।
- tj dhruw
मैं(ओमी) विश्वा , रोहन , चीकू और मिकी अक्सर स्कूल से आने के बाद प्ले ग्राउंड में खेलने के लिए निकल जाते थे ।
क्रिकेट , फुटबॉल और भी ढेर सारे गेम्स खेला करते थे और ट्यूशन भी साथ जाया करते थे। बारिश के दिनों में कागज की नाव बनाकर पानी में छोड़ा करते थे , और गर्मियों के दिन में खूब बर्फी खाया करते थे ।
झूला भी साथ ही झूला करते थे , और तो और होमवर्क भी साथ ही complete किया करते थे। विश्वा तो हम सब में से सबसे ज्यादा शरारत किया करता था , एक बार की बात है गर्मी का दिन था गुप्ता अंकल रोज की तरह मॉर्निंग वॉक से वापस आ रहे थे तो विश्वा उनके घर के पास के पेड़ के पीछे छिप जाता है और अंकल के पास पहुंचते ही 💥 बूम .... बोल कर डरा देता है और फिर वहां से जोरो से चिल्लाते हुवे अंकल डर गए अंकल डर गए ..... भागता है ।
अब तो वक्त ही बदल गया है जैसे लोगो का अलगाव और बढ़ गया हो , जाने कहां गए वो दिन .....।
- tj dhruw