...

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इंतजार
रात २ बज रहे थे। मगर! अदिति अब तक सोई नहीं थी। वो पिछले कई घंटों से सामने की खुली खिड़की की ओर देख थोड़ी थोड़ी देर में देख रही थी। शायद उसे किसी के आने का इंतजार था। और कुछ ही मिनटों बाद उसका वो इंतजार खत्म हो गया।
उसे देखते ही अदिति खुशी से ऐसे चहक उठी, मानो सदियों से किया गया किसी के लिए उसका लम्बा इंतजार हो। मानों उसकी जान में जान आ गई हो। मानो जिंदगी जीने की वजह मिल गई हो। उसके होठों पर एक लंबी हसी थी अब। और हो भी क्यूं ना, आखिर उसका घंटों का इंतजार जो खत्म हुआ था। हर रात जिसका उसे इंतजार रहता था, आखिर वो जो आया था आज। वो भागकर उसके गले जा लगी और जोर जोर से फिर रोने लगी ये कहते हुए के बड़ा लंबा इतंजार करवाया तुमने। क्यूं इतना दूर गए मुझे छोड़कर।
इसके बाद Drawer से अपने अदिति ने कुछ खत निकाले।

आखिर कौन था वहां जिसका इंतजार अदिति बेसब्री से घंटों से कर रही थी?
To be Continued.....
© Silent Eyes