...

10 views

मेरी कहानी , मेरी जुबानी
हैलो दोस्तो आज आपको खुद की कहानी
सुनाने जा रही हूं , और मैंने क्यो? लिखने
का रास्ता चुना ये भी बताने जा रही हूं।

पता है जब मैं एक साल की थी तब ही मैंने
अपनी मां को खो दिया , मां का प्यार ,दुलार
और डांट क्या? होती है ये जानने का मुझे मौका ही नही
मिला...…...

हम तीन बहने है , मै सबसे छोटी हूं हमारा कोई भाई नहीं जब से मैं समझदार हुई
पापा को काम से घर और घर से काम
आते जाते देखा , पूरे मोहल्ले में वो सब
का हाल चाल पूछते सब से बैठकर
बाते करते लेकिन कभी अपने बच्चो से
उनका हाल चाल पूछना उन्हें गवारा नहीं

मै जानती हूं , हां पिता मां की तरह प्यार
दिखा नही सकता , पर एक पिता कम
से कम बच्चो को अपने हिस्से का प्यार
दे सकता है ...... देखा है मैंने अपने सहेलियों
के पापा को वो तो मेरे पापा जैसे नही है
अपनी बेटियो से हंसते हैं, बोलते हैं, उन्हें
इतना प्यार करते है , जरा सी तबियत
खराब हो जाए तो दवाई लाने को कहते हैं
लेकिन मेरे पापा अगर तबियत भी खराब
हो तो पूछते भी नही बस आते हैं खाना
खाते हैं और सो जाते है बस इतना ही रिश्ता
है हमारा उनके साथ .......

कभी कभी लगता है उन्हे हमसे प्यार नही
कभी कभी सोचती हूं, जन्म ही क्यों ? दिया
जब बच्चो से प्यार नही था।

मां को तो उस खुदा से छीन लिया पिता
जिसने कभी प्यार ही नही किया......
कैसे बताऊं ये आंखे कितना रोती थी
जब स्कूल में कभी मीटिंग होती थी
वो कभी नहीं आते थे, सब बच्चो के
पापा अपने बच्चो के साथ आते थे ।

दर्द को अपने समेटे कई साल बीत गए
पर पापा तो अब भी वैसे थे । उन्हे ये तक
नही याद की उनके बच्चे कोन सी क्लास
में पढ़ते थे ।
मेरे 15 birthday पर मेरी सहेली ने एक
खूबसूरत सी डायरी दी, और बस यही से
मेरी लेखन कला शुरू हुई ........

इन आंसुओं को स्याही मिली एक कोरा
कागज़ जो मेरे जज्बातों को खुद में
समेटे रखता , मेरी शिकायते ,मेरी खामोशी
मेरा दर्द सब कुछ लिखता ।
जरुरते तो सारी पापा पूरी हुई पर आपका
प्यार पाने की ख्वाइश आज भी अधूरी
रही । शायद कफ़न ओढ़कर जब मैं सो
जाऊ तब आप प्यार दिखाओगे , मेरे लिए
कम से कम दो आंसू तो बहाओगे ना पापा?
ये सब मै आपसे Face To Face कहना
चाहती हूं पर हिम्मत नही , क्युकी जब
यहां लिखने में मेरी ये आंखे हो रही नम है
तो फिर मै कैसे खुद को संभाल पाऊंगी
इतना कुछ खुद में दफ़न रखा है मैने फिर
रोक ना पाऊंगी।