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🪁 पतंग 🪁
🪁🪁🪁🪁🪁🪁🪁
बांधकर वह प्यार का धागा
आसमां को छूने चला!
एक रिश्ते की दोर हाथ में समा
वह विश्वास को ऊंचा करने चला!!
🪁🪁🪁🪁🪁🪁🪁

दोस्तों, 🙏🙂
मकरसंक्रांति के इस अवसर पर, फिर से एकबार जानकारी को आपके साथ बांट रहा हूं। हर एक चीज को कुछ ना कुछ मकसद से बनाया गया है, वैसे ही मकरसंक्रांति है।

मकरसंक्रांति को हम पतंग उड़ाते हैं। पर क्यों ?
यह सवाल भी होना चाहिए।
पतंग उड़ाते समय जो दोर हम उसको बांधते हैं, उसके सहारे से वह ऊंचाईयों को छूने जाता और जब जोर टूट जाएं तो वह नीचे आता है।
जैसे....
पतंग को मानों यह विश्वास होता है कि, जब तक उसकी दोर उसके साथी के हाथों में है,तब तक उसको ऊंचाईयों को,आसमां को छूने से कोई रोक नहीं सकता। यह होती मजबूत विश्वास की ताकत। जितनी दोर मजबूत हो, उतना ही वो ऊंचा जाएगा।

इससे हमें यह सीख मिलती है कि, रिश्ते भी ऐसे ही है । वो भी प्यार के धागे से, विश्वास के दम पर टिके होते हैं। जितना विश्वास ज्यादा, जितना प्यार ज्यादा,उतना ही सफल होने की , ऊंचा उठने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं।
और जिस दिन इस रिश्ते की दोर टूट जाती है। धीरे धीरे फिर ऊंचाईयों को छूने वाला नीचे गिरता है।

इसलिए दोस्तों, रिश्तों को मजबूत करने वाले इस उत्सव को हम मनाते हैं।
🙏 🇮🇳 धन्यवाद 🇮🇳🙏


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