कर्म,भाग्य,....!!
#कर्म,भाग्य,सौभाग्य****🤞🏻
जीवन में सौभाग्य की कामना हर कोई करता है, लेकिन इसका साथ किसी-किसी को ही मिल पाता है. भाग्य को लेकर लोग कभी सकारात्मक तो कभी नकारात्मक दिखते हैं.,
कुछ का कहना है कि उनके जीवन से जुड़ी असफलता के पीछे सिर्फ और सिर्फ भाग्य जिम्मेदार है, तो कुछ का मानना है कि उन्हें जीवन में जो कुछ भी मिला है, उसके पीछे सिर्फ और सिर्फ किस्मत का ही रोल है.,
इन दोनों ही परिस्थितियों के बीच भले ही हम भाग्य को माने या न माने लेकिन हम इसके अस्तित्व को ठुकरा भी नहीं सकते हैं.,
भाग्य को लेकर हमने अक्सर लोगों को यही कहते सुना है, कि खूब कर्म करने के बाद भी उन्हें "सौभाग्य" का साथ नहीं मिला., ऐसे में मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर कर्म और भाग्य में कौन बड़ा है....?
इन दोनों में से किस चीज पर आदमी को पहला विश्वास रखना चाहिए.,
खासतौर पर जब लोग आपसे ये कहें कि आपको तो सिर्फ उतना ही मिलना है, जितना आपके भाग्य में लिखा है. इसे वही अनदेखा कर इससे आगे बढ़ें.,
क्या इसे सुनने के बाद आदमी को बगैर कर्म किए हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाना चाहिए.,
जी नही ऐसा कदापि संभव नही, ये तो बिल्कुल संभवता से परे है ,,
जीवन में जो लोग अपने कर्म को पीछे छोड़कर भाग्य की राह तकते रहते हैं, उन्हें जीवन में सिर्फ उतना ही मिल पाता है, जितना दूसरे व्यक्ति छोड़ कर जाते हैं.,
भाग्य पर भरोसा करने पर व्यक्ति का सौभाग्य हमेशा सोया ही रहता है, जबकि कर्म का साथ पाते ही वह हमारे साथ आगे बढ़ने लगता है.।।
#कर्मयोग***
अपनी तक़दीर हमे खुद ही लिखनी होगी,
ये कोई चिठ्ठी नहीं जो दूसरों से लिखवा लेंगे,,
#भाग्य🤞🏻
ऐ किस्मत तू भी सुन,
कंधों पर उम्मीदों का एक बोझ है,
हार जाता हूं हर बार, पर जीतना एक रोज है ,,
✨🤞🏻
यहाँ कोई भी हमारा सपना पूरा करने के लिए नहीं है.
हर कोई अपनी तकदीर और अपनी हक़ीकत बनाने में लगा है,,
आ क़िस्मत आज साथ में शतरंज खेलते हैं, देखें तो ज़रा ताक़त तेरी बनावट में है या मेरी मेहनत में.......।।
जीवन में सौभाग्य की कामना हर कोई करता है, लेकिन इसका साथ किसी-किसी को ही मिल पाता है. भाग्य को लेकर लोग कभी सकारात्मक तो कभी नकारात्मक दिखते हैं.,
कुछ का कहना है कि उनके जीवन से जुड़ी असफलता के पीछे सिर्फ और सिर्फ भाग्य जिम्मेदार है, तो कुछ का मानना है कि उन्हें जीवन में जो कुछ भी मिला है, उसके पीछे सिर्फ और सिर्फ किस्मत का ही रोल है.,
इन दोनों ही परिस्थितियों के बीच भले ही हम भाग्य को माने या न माने लेकिन हम इसके अस्तित्व को ठुकरा भी नहीं सकते हैं.,
भाग्य को लेकर हमने अक्सर लोगों को यही कहते सुना है, कि खूब कर्म करने के बाद भी उन्हें "सौभाग्य" का साथ नहीं मिला., ऐसे में मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर कर्म और भाग्य में कौन बड़ा है....?
इन दोनों में से किस चीज पर आदमी को पहला विश्वास रखना चाहिए.,
खासतौर पर जब लोग आपसे ये कहें कि आपको तो सिर्फ उतना ही मिलना है, जितना आपके भाग्य में लिखा है. इसे वही अनदेखा कर इससे आगे बढ़ें.,
क्या इसे सुनने के बाद आदमी को बगैर कर्म किए हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाना चाहिए.,
जी नही ऐसा कदापि संभव नही, ये तो बिल्कुल संभवता से परे है ,,
जीवन में जो लोग अपने कर्म को पीछे छोड़कर भाग्य की राह तकते रहते हैं, उन्हें जीवन में सिर्फ उतना ही मिल पाता है, जितना दूसरे व्यक्ति छोड़ कर जाते हैं.,
भाग्य पर भरोसा करने पर व्यक्ति का सौभाग्य हमेशा सोया ही रहता है, जबकि कर्म का साथ पाते ही वह हमारे साथ आगे बढ़ने लगता है.।।
#कर्मयोग***
अपनी तक़दीर हमे खुद ही लिखनी होगी,
ये कोई चिठ्ठी नहीं जो दूसरों से लिखवा लेंगे,,
#भाग्य🤞🏻
ऐ किस्मत तू भी सुन,
कंधों पर उम्मीदों का एक बोझ है,
हार जाता हूं हर बार, पर जीतना एक रोज है ,,
✨🤞🏻
यहाँ कोई भी हमारा सपना पूरा करने के लिए नहीं है.
हर कोई अपनी तकदीर और अपनी हक़ीकत बनाने में लगा है,,
आ क़िस्मत आज साथ में शतरंज खेलते हैं, देखें तो ज़रा ताक़त तेरी बनावट में है या मेरी मेहनत में.......।।