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वो क्रिसमस कीशाम
कई बार ऐसा होता है कि हम करना कुछ और चाहते हैं और हो कुछ और ही जाता है।
ऐसे ही एक क्रिसमस की शाम मेरी जिंदगी से भी होकर गुजरी है।
मां बताती है वो क्रिसमस की शाम आज भी याद है मुझे जब कई दिनों से लगातार बारिश होने के कारण आंगन में जगह-जगह कजली लग गया था।जिस वजह से चलना फिरना भी थोड़ा मुश्किल हो गया था। दादाजी ने दो-दो ईंटों का जुराब करके भंसा घर और दलान के बीच एक पतली सी सड़क बना दी थी । जिससे आना जाना थोड़ा आसान हो गया था ।उस वक्त मेरी उम्र लगभग 5 साल रही...