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अंबक का प्रेम {भाग-२ }
राघव झट-से मुख आगे कर किताबो को देखने लगता है और उसके माथे से अचानक पसीना आने लगा , दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और उसके हाथ में जो कलम था वो फ्लोर पे गिर गया। {शायद , शांभवी जरूर उसे देख जोर से हस पड़ती। } राघव कॉलेज में आता तो बस शांभवी को देखना चाहता। वो  दोनों एक-दूसरे को ऐसे ही देखते और पता नहीं क्या बाते करते।

क्या ये प्रेम-रस था! अगर हा तो इसका नशा  हाला से भी ज्यादा मजबूत था। वो दोनों शारीरिक रूप से कितने दूर थे न !

लेकिन फिर भी पता नहीं उनकी आँखे क्या बाते करती लेकिन जो भी बाते करती वो दिल को समझ में आता था और कभी-कभार दोनों के मुख में प्रेम की हँसी झलकती  थी ये समय ठीक चकोर और चाँद के प्रेम का साक्ष्य था जिस प्रकार चकोर  चाँद को देख प्रेम गीत गुनगुनाने लगता ।

शांभवी ने मेरे प्रैक्टिकल कॉपी को वापस कर दिया लेकिन मै चाहता था की वो इस बार मेरा हाथ मांग ले ताकि उसके साथ रह सकु । 
दूसरे दिन शांभवी राघव के पास आकर बैठ उससे कहती है -"हाय ! राघव क्या कर रहे ?" 
"क....कु। ...कुछ खास नहीं "बस ऐसे ही बैठा हूँ। "
"अच्छा , तुम्हे क्या पसंद है फ्री टाइम में क्या करते हो ?" शांभवी पूछी।  
"कुछ खास नहीं थोड़ा शायरी और गाना सुनता हूँ। 'आँखों ही आँखों में बात होने दो ' गाना उसे बहुत पसंद था जिसके नायक किशोर कुमार और नायिका आशा बोशले थी। " दोनों...