...

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लड़की होना - एक पछतावा
रिश्ता ही इतना खास था
उसमें वो शक़ कहाँ से लाती
छोटी सी तो अभी उम्र थी
इतना तजुर्बा वो कहाँ से लाती
अपनों की शक्ल में छिपे थे भेड़िये
पहचान सके वो उनको ऐसी नज़र कहाँ से लाती
सिसक-सिसक कर कट रही थी रातें
बता सके वो आपबीती इतनी हिम्मत कहाँ से लाती
काँप जाती है रूह भी जब-जब वो किस्सा याद आ जाता है
रो कर मिटा सके वो अपने दुःखों को
ऐसा काँधा वो कहाँ से लाती
कमजोर नहीं थी वो जो कुछ कर न पाती
लेकिन ग़र चली गई होती माँ-बाप की इज्ज़त
तो वो इज्ज़त वो कहाँ से लाती
धीरे-धीरे आदत पड़ गई थी उसे अकेले सब सहने की
लाख रोये उसका दिल, मगर चुप रहने की
जो समझ सके उसे बिन उसके कुछ भी कहे
ऐसा शख़्स वो कहाँ से लाती
विश्वास जब टूटा हो अपनों के हाथों से
तो कर सके भरोसा वो गैरों पर
ऐसा मन वो कहाँ से लाती
उठ चुका था यकीन खुदा से उस एक पल में
माँग सके फिर से नारी का जन्म
ऐसी यकीन भरी दुआ वो कहाँ से लाती.......

@Ashishsingh #Ashishsingh #mysteriouswriter

© Mγѕτєяιουѕ ᴡʀɪᴛᴇR✍️