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भूतिया हवेली ( भाग - 2 )
देख अब तू अपनी बकवास बंद कर ऐसे करके तू खुद भी डर रहा है और मुझे भी डरा रहा है। वही बाकी के सभी लोग भाग कर वापस से बस मे चले जाते है।

वहाँ अब आकाश और वेदांत ही अकेले बचे थे। वही सीढ़ियों से वह सख्श धीरे-धीरे नीचे उतर ही रहा था की तभी उसके हाथ से मोमबत्ती छुट जाती है।

मोमबत्ती को बचाने के चक्कर मे उसको पैर फिसल जाता है और वह सीढ़ियों से नीचे गिर जाता है जिसके साथ उसके मुँह से एक आह ह,,,,,,, निकल जाती है।

बाकी सब तो डर कर भाग जाते है लेकिन आकाश यह सब देखकर हैरान हो जाता है और भाग कर उस सख्श के पास चला जाता है।

आकाश जैसे ही उस सख्श को उठाने की कोशिश करता है। उसके हाथ मे उसके नकली बाल आ जाते है और उनके पीछे छिपा असली चेहरा बाहर आ जाता है।

क्योंकि वह कोई भूत नही बल्कि वही आदमी था जिसने दरवाजा खोला था। जो की सीढ़ियों से गिरने की वजह से बेहोश हो गया था।

आकाश उस आदमी के ऊपर पानी डाल कर उसको होश मे लाता है और उससे पूछता है।

आकाश- कौन हो तुम और तुम हमको ऐसे डरा क्यों रहे थे ?

तभी उनको पीछे से आवाज आती है जिससे तुमने अंदर आने के लिए पूछा था। वह मै था आकाश और वेदांत जैसे ही पीछे मुड़कर देखते है उनकी आँखे खुली की खुली रह जाती है।

क्योंकि वहाँ मौजूद उन दोनो लोगो की शकल एक जैसी थी। तभी सीढ़ियों पर बैठा आदमी बोलता है। श्याम लाल तुमने मुझे बताया क्यों नही।

श्याम लाल- मै आपको बताना भूल गया था भैया।

आकाश- यहाँ चल क्या रहा है कोई हमे बताएगा।

श्याम लाल आओ हमारे साथ' वेदांत पर कहाँ,,,,,,,चुपचाप चलो। वह आकाश और वेदांत को उसी कमरे मे ले जाते है। जिसका दरवाजा अपने आप बंद हुआ था।

वह जैसे ही कमरे के अंदर जाते है वहाँ का नजारा देख कर हैरान हो जाते है वहाँ लगभग पाँच साल का बच्चा अपने खिलौनों से खेल रहा होता है।

तभी पीछे से श्याम लाल बोलता है। यही सोच रहे हो ना तुम यह बच्चा कौन है और यहाँ क्या कर रहा है। मै बताता हूँ,,, श्याम लाल गंभीर हो कर बोलता है।

तो फिर सुनो यह बच्चा कोई और नही बल्कि इस हवेली का मालिक...