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लिंग भेद रंग भेद समाज का कलंक
ये कहानी है पहचान की जो मां के कोख में सिर्फ एक प्यारा बच्चा है

बेटा हुआ तो बढ़िया बेटी हुई तो बहुत अच्छा है

कहानी है सास और बहू की -

हंसिका अक्सर अपने सास से डरी सहमी रहती है

हंसिका की सास है तो कड़क मिजाज की लेकिन इंसानियत और नियत जिंदा और साफ है


हंसिका गर्भ से है और ससुराल में सास के साथ खुश है

एक दिन किन्नर की टोली जब आशिर्वाद देने के लिए

हंसिका के...