...

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बेफिक्र हो कर
बेफिक्र हो कर अब चलेंगे,
कितना भी रोको तुम हम नहीं रुकेंगें।

कदम जो साथ न रखो ये मर्जी तुम्हारी,
हम चल पड़े हैं दूर तक अब नहीं मुंडेंगे।

कौन जाना है भला कल किसका हो
मगर ये जिद्द है हम हाथ नहीं मलेंगे।

दिल जो कह रहा है क्यों उससे अंजान रहें,
तुम भूल जाओ गर वादे कुछ हम नहीं भूलेंगे।

एक एक कांटा निकाल कर पैरों से,
जमीन में अपने कदमों को जकड़ कर रखेंगे!

लोग कहते हैँ तो कहते रहें मगर,
हम बिन कुछ सोचे बस आगे बढ़ेंगे!

जितने दर्द जिन्दगी देगी ख़ुशी से ले लेंगे,
इस लेने देने के खेल से पीछे नहीं हटेंगे!

आखिर क्यूँ डरें इन उलझे सवालों से
जवाब हमारे ही तो पास है हम खुद हल करेंगे!

थोड़ा थोडा लिखना रोज का सबब है
इसलिए आज जिंदगी की नई कविता लिखेंगे!

बेफिक्र हो कर अब हम चलेंगे!
छू लेंगे आसमां हम ऐसी छलांग भरेंगे,




© sangeeta ki diary