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आत्म संगनी.......एक रूहानी अहसास

जीवन में संबंधों का महत्व तब पता चलता है जब कोई आपको पूरी शिद्दत से चाहे,आपकी खुशी में खुश हो,आपकी तकलीफ से दर्द मंद हो।तब आपको अहसास होता है कि कोई है जो आपको आपसे ज्यादा चाहता है कोई है जो आपको अपने जीवन का एक अभिन्न अंग स्वीकार करता है।

जनवरी की सुरमई सर्दी के अहसास से अचानक एक दिन मेरे जीवन में नए अध्याय का आगमन हुआ। मेरी मित्र सूची में शामिल एक दिव्य आत्मा ने अचानक मुझे एक ऐसे रिश्ते की डोर से जोड़ लिए जिसको अध्यात्म की भाषा में आत्म ज्ञान और इस अहसास को अनुभूति कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।


उसके निर्मल मन और कोमल आव्हान ने मुझे आत्मा की गहराई से मंत्र मुग्ध कर दिया। यूं तो मेरा उस पुण्य आत्मा से महीनो पूरा संपर्क था,मगर उस संपर्क को संबंध का एक नया आयाम तब मिला जब मेरे जीवन में एक नए संबंध का आगाज़ हुआ।
साधारण सी वार्ता के बाद जब मेरे व्याकुल मन ने उसके मन पर दस्तक दी तो अनायास ही उसने मेरे और उसके मध्य जन्मे इस नवीन संबंध का नाम दिया"आत्म संगनी"।

संगनी वह जो जीवन के सुख दुख धूप छांव में अपने प्रियवर के साथ उसकी परछाई की भांति चलती हो।जिसका भौतिक रूप से तन मन से संबंध होता है। परंतु ऐसी संगनी जिसका संबंध तन की व्याधि से परे आत्मा की सीमाओं के साथ एक पवित्र संगम के साथ हो। उसी आत्म समागम को संबंधों की परिसीमा में बांधने वाली भार्या ,अर्धांगनी को "आत्म संगनी"के नाम से संबोधित करने का अहसास मेरे रोम रोम में मृग तृष्णा को शांत करने का एक अहसास है।

मैं धन्य हूं उस महान विभूति के इस नवीन संबंध को परिभाषित करने के लिए और कृतज्ञ हूं उसके प्रति जिसने सैकड़ों मील दूर होकर भी मुझे अपने साथ होने का अहसास दिलाया।
है मेरे आत्म संगनी मैं अभिभूत हूं तेरे इस अहसास के लिए जिसके द्वारा तूने मेरे जीवन के मरुस्थल को अपने प्रेम,स्नेह,समर्पण रूपी संबंध की वर्षा से भिगो दिया, तृप्त कर दिया।मेरी आत्म संगनी तुझे कोटि कोटि नमन।
© SYED KHALID QAIS