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तीन कबूतर
आज मैंने तीन कबूतरों को देखा। मै आज शाम को अपने चाचा जी के कंपनी गया था। उस समय वहा तीन कबूतरों को देखा। उन का घर उस कंपनी के गोदाम में था।आज उन तीनों को वहां से उड़ा दिया गया। साथ ही जहां से वो उस गोदाम में जाते थे । उस जगह को बंद कर दिया गया था और उन का घर उजाड़ दिया गया।
यह बात सुबह की थी। उन कबूतरों को क्या पता था की आज उनको क्यों उड़ाया जा रहा है। फिर जब शाम हो गई,तो वो वापस आए । किन्तु वो उस गोदाम में नहीं जा सके, क्योंकि जहां से वो अंदर आते थे ,उस जगह को बंद कर दिया गया और वहां पर जली लगा दी गई थी।
फिर वो जब शाम को आए, तो वो अंदर नहीं जा सके।एक बार कोशिश करने के बाद उन्हे पता चल गया था । लेकिन उन्होंने कोशिश करनी नहीं छोड़ी । उन्हे यह विश्वास था की कहीं से तो उनको जगह मिल ही जाएगी। फिर भी वो बारी बारी से प्रयास करने लगे।लगभग आधे घण्टे तक वो प्रयास कर रहे थे। फिर मैं घर आ गया ।
इस बात से मुझे एक बात पता चली कि, हम इंसान किस तरह से अन्य प्राणियों को परेशान करते हैं।
हमे इस तरह नहीं करना चाहिए। वो भी तो आखिर जीव हैं। उन मै भी अपनी तरह जीव होता। इसलिए हमे इनको या किसी भी अन्य जानवरों को परेशान नहीं करना चाहिए। एक बात सोचो यदि हमे घर से निकला दिया जाए तो हम को कैसा लगेगा। हमने उनके लिए ना पेड़ छोड़ा और ना कोई ओर जगह ,ना हम उनको अपने घर मै रहने देते हैं ।


लेखक: रूपनारायण हीरा गेरा।
© Rupnarayan heera gera
© रूप(R.G.H.)