दिल के अल्फाज
मुक़्क़दर का लिखा तो
मैं न मिटा पाऊंगा
पर ये सच है ता उम्र
तेरा साथ निभाउंगा
मत बहा अपनी प्यारी
आंखों से आंसू अब
तेरा हर एक सपना
अब से मैं सजाऊंगा
दफ़्न जो जज्बात है
मिटा से क़ल्ब से उनको...
मैं न मिटा पाऊंगा
पर ये सच है ता उम्र
तेरा साथ निभाउंगा
मत बहा अपनी प्यारी
आंखों से आंसू अब
तेरा हर एक सपना
अब से मैं सजाऊंगा
दफ़्न जो जज्बात है
मिटा से क़ल्ब से उनको...