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लॉटरी का टिकट
#WritcoStoryPrompt3
मैंने अपने दोस्त रजत के कहने पर एक लॉटरी टिकट खरीद लिया।पर मेरी आज तक कभी लॉटरी निकली ही नहीं थी।पर इस बार यह लॉटरी टिकट मै अपने दोस्त रजत केे कहने पर ही खरीद रहा था।लॉटरी खरीदने के बाद मैं और मेरा दोस्त रजत हम घर को वापस आ गए।लॉटरी के टिकट की घोषणा अभी दस दिन बाद होनी थी। तो घर जाकर मैंने वह लॉटरी का टिकट कहीं किसी किताब के अंदर रख दिया था।मुझे पता था कि आज तक तो मेरी कभी लॉटरी निकली नहीं तो अब कैसे निकलेगी।मैंने उस तरफ इतना ध्यान भी नहीं दिया।
दिन बीतते गए और वो दिन भी आ गया।जब लॉटरी के टिकट का इनाम घोषित किया जाना था। मैं तो इस बारे में भूल भी चुका था,की लॉटरी के टिकट की घोषणा आज होने वाली है।वह तो मेरे दोस्त रजत का कॉल आता है। वह कहता है कि आज लॉटरी की टिकट की घोषणा है।चलो चल कर देखते हैं।क्या पता इस बार तुम्हारी किस्मत में लॉटरी लग ही जाए। मैं उसे मना करता रहा पर उसने कहा नहीं चलो हम चलते हैं। मैंने कहा ठीक है चलते हैं।पर मैं पहले टिकट को ढूॅंढ लूॅं।टिकट रखकर मैं भूल गया था। और कुछ समय तक दिमाग में ज़ोर डाला तो याद आया कि वह टिकट मैंने एक किताब में रखी हुई है।फिर मैं वो टिकट लेकर रजत के घर पहुॅंच गया ।
फिर वहां से हम दोनों लॉटरी का नतीजा जाने के लिए वहां पहुंच जाते हैं । जहां से लाटरी टिकट हमने खरीदा होता है। वहाॅं पर लॉटरी के नंबर घोषित किए जा रहे थे।सबसे पहले तीन नंबर फिर दो नंबर वालों के नाम घोषित किए गए।दो और तीन में तो मेरा नंबर नहीं आया। और फिर रह गया था एक नंबर वाला लॉटरी टिकट।जब एक नंबर वाला लॉटरी टिकट नंबर बोला गया तो वो लॉटरी टिकट नंबर किसी और का नहीं बल्कि वही नंबर था जो लॉटरी टिकट मेरे पास था। लॉटरी पूरी एक करोड़ की निकली थी।जिसे पाकर मैं फूले नहीं समा रहा था।मैंने इसे एक बार पढ़ा, फिर दो बार। मैं इसकी कल्पना नहीं कर रहा था कि मैं कभी लॉटरी जीत पाऊॅंगा पर फिर भी मैंने लॉटरी जीत ली थी!